धर्म-अध्यात्म

Kamika Ekadashi 2021: आज है कामिका एकादशी, जानिए एकादशी व्रत की सारी जरूरी जानकारी

Bhumika Sahu
4 Aug 2021 1:34 AM GMT
Kamika Ekadashi 2021: आज है कामिका एकादशी, जानिए एकादशी व्रत की सारी जरूरी जानकारी
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कामिका एकादशी व्रत को श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना जाता है. ये समस्त पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी है और व्यक्ति की मनोकामना को पूरा करती है. जानिए कामिका एकादशी से जुड़ी हर वो जानकारी जो आपके लिए जानना जरूरी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है. कामिका एकादशी को श्रेष्ठतम व्रतों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि अगर आपकी कोई इच्छा लंबे समय से अधूरी है तो कामिका एकादशी का विधिवत व्रत रखकर आप भगवान के समक्ष उस कामना की पूर्ति की प्रार्थना करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु आपकी कामना को जरूर पूरा करते हैं.

ये भी माना जाता है कि कामिका एकादशी व्यक्ति के समस्त पापों का नाश हो जाता है. इस बार कामिका एकादशी का व्रत 4 अगस्त को रखा जाएगा. कामिका एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु के गदाधारी स्वरूप की पूजा करने का विधान है. जानिए कामिका एकादशी व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और अन्य जरूरी जानकारी.
भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था इस एकादशी का महत्व
कहा जाता है कि एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम और महत्व के बारे में पूछा, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि इस एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है. ये एकादशी व्रत व्यक्ति की कामना की पूर्ति करने के साथ उसे समस्त पापों से मुक्ति दिलाने वाला है. कामिका एकादशी का व्रत रखने से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता. जो इस एकादशी पर जो भक्त श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे समस्त पापों से दूर रहते हैं. इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि कामिका एकादशी व्रत वाले दिन जो भक्त श्रद्धा के साथ नारायण का पूजन करते हैं, उन्हें गंगा, काशी, नैमिशारण्य और पुष्कर में स्नान करने के समान फल प्राप्त होता है.
ये है शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 03 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष कामिका एकादशी का व्रत 04 अगस्त को रखा जाएगा. अगले दिन 05 अगस्त दिन गुरुवार को द्वादशी तिथि शाम को 05 बजकर 09 मिनट तक र​हेगी. ऐसे में आप द्वादशी में किसी भी समय पारण कर सकते हैं. लेकिन व्रत पारण के लिए अति शुभ समय सुबह 05 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 26 मिनट के बीच रहेगा.
व्रत विधि
एकादशी व्रत के नियम 03 अगस्त को सूर्यास्त के बाद से लागू हो जाएंगे. आप 03 अगस्त को सूर्यास्त से पहले साधारण भोजन करें. इसके बाद अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद के बाद पूजा शुरू करने से पहले हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें, फिर पूजा शुरू करें. सबसे पहले भगवान विष्णु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें. इसके बाद कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़ें, और नैवेद्य चढ़ाएं. यदि निर्जल व्रत रह सकें तो सर्वोत्तम है, अन्यथा फलाहार ले सकते हैं. रात में भगवान का ध्यान व भजन कीर्तन करें. कोशिश करें कि एकादशी की रात जागरण करें. अगले दिन स्नान करने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और सामर्थ्य के अनुसार दान करें. इसके बाद ही स्वयं भोजन करें. दशमी की रात से लेकर द्वादशी के दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करें. किसी की चुगली और निंदा न करें. प्रभु भक्ति में लीन रहें.
कामिका एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में एक गांव में पहलवान रहता था. पहलवान बहुत क्रोधी स्वभाव का था. एक दिन पहलवान का एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया. क्रोधवश पहलवान ने ब्राह्मण की हत्या कर दी. इससे पहलवान पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया. ब्राह्मण की हत्या का दोषी मानकर पहलवान का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया. पहलवान को अपनी गलती का अहसास हुआ और वो इसका प्रायश्चित करना चाहता था. एक दिन उसने एक साधु से पापों को दूर करने का उपाय पूछा. तब साधु ने पहलवान को कामिका एकादशी करने का व्रत करने की सलाह दी. साधु के कहने पर पहलवान ने कामिका एकादशी व्रत का विधि विधान से पूरा किया. एकादशी की रात पहलवान भगवान विष्णु की मूर्ति के पास सो रहा था. तभी अचानक से उसे सपने में भगवान विष्णु के दर्शन हुए. उन्होंने पहलवान से कहा कि वो उसकी भक्ति और प्रायश्चित करने की सच्ची भावना को देखकर प्रसन्न हैं. इसके बाद भगवान विष्णु ने उसे ब्राह्मण हत्या के दोष से मुक्त कर दिया.


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