धर्म-अध्यात्म

बसंत पंचमी के दिन होती है कामदेव की पूजा, जानें विधि

Tulsi Rao
30 Jan 2022 10:50 AM GMT
बसंत पंचमी के दिन होती है कामदेव की पूजा, जानें विधि
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रिश्ता से रिश्ता वेबडेस्क। माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी करते हैं. इस बर यह 5 फरवरी, शनिवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है. कहते हैं कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन विशेष रूप से इनकी पूजा की जाती है. इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन कामदेव की भी उपासना की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है? यदि नहीं तो चलिए जानते हैं इस बारे में.

कामदेव को क्यों मिला विशेष स्थान
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा करने की परंपरा है. शास्त्रों में कामदेव को प्रेम का स्वामी माना गया है. मान्यता है कि अगर ये नहीं हों तो सृष्टि की उन्नति रुक जाएगी. साथ ही प्राणियों में प्रेम भावना खत्म हो जाएगा. यही कारण है कि कामदेव को विशेष स्थान प्राप्त है.
बसंत पंचमी के दिन क्यों की जाती है कामदेव की पूजा?
शास्त्रों के मुताबिक बसंत ऋतु का संबंध कामदेव से है. बसंत ऋतु का आगमन के साथ ही मौसम सुहाना हो जाता है. प्रकृति में एक अलग प्रकार का सौन्दर्य नजर आता है. मनुष्य के साथ-साथ अन्य प्रणी भी खुश नजर आते हैं. साथ ही उल्लास का वातावरण होता है. इसलिए प्रेम की दृष्टि से भी ये मौसम अनुकूल होता है. पैराणिक मान्यताओं के मुताबिक कामदेव मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुत्र हैं. इनकी शादी देवी रती से हुई थी. देवी रती आकर्षण और प्रेम की देवी हैं. हालांकि कुछ कथाओं में कामदेव को ब्रह्माजी का पुत्र बताया गया है.
भगवान शिव ने दिया था कामदेव को वरदान
पैराणिक कथाओं के मुताबिक कामदेव ने एक बार भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी. जिस कारण शिव का मन चंचल हो गया. भगवान शिव को जब सत्य की जानकारी हुई तो उन्होंने अपने क्रोध से कामदेव को भस्म कर दिया. जिसे जानकर कामदेव की पत्नी रती विलाप करने लगीं. कहते हैं कि रती की विनती पर भगवान शिव ने कामदेव को भाव रूप में प्रकृति में वास करने का वरदान दिया.


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