धर्म-अध्यात्म

सभी कामनाओं को पूरा करती है कामदा एकादशी, जानें तिथि और पूजा विधि

Rani Sahu
10 April 2022 9:49 AM GMT
सभी कामनाओं को पूरा करती है कामदा एकादशी, जानें तिथि और पूजा विधि
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हिंदू (Hindu) धर्म में प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी (Ekadashi) का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है

हिंदू (Hindu) धर्म में प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी (Ekadashi) का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ एकादशी का व्रत करने पर जीवन से जुड़े सभी दु:ख-दर्द दूर और मनोकामनाएं पूरी होती है. चैत्र मास (Chaitra Month) के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी जिसका नाम ही कामदा एकादशी है, वह सभी मनोकामनाओं को पूरा करने और सुख-समृद्धि और सौभाग्य की वर्षा करने वाली मानी गई है. आइए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की कृपा दिलाने वाले इस व्रत की तिथि, पूजन विधि और उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं.

कब पड़ेगा कामदा एकादशी का व्रत
जीवन से जुड़ी कामनाओं का पूरा करने वाला कामदा एकादशी का पावन व्रत चैत्र मास के शुक्लपक्ष की एकादशी यानि कि 12 अप्रैल 2022, मंगलवार को पड़ेगा. भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाली एकादशी तिथि 12 अप्रैल को पूर्वाह्न 04:30 बजे से शुरु होकर 13 अप्रैल 2022 को पूर्वाह्न 05:02 बजे तक रहेगी.
कामदा एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी के पावन व्रत की महत्ता बताते हुए कहा है कि जिस प्रकार सर्पों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़ देवता, देवताओं में श्री विष्णु, वृक्षों में पीपल तथा मनुष्यों में ब्राह्मण को श्रेष्ठ है, उसी प्रकार तमाम तरह के देवी-देवताओं के लिए रखे जाने वाले सभी व्रतों में एकादशी का व्रत श्रेष्ठ है. जीवन से जुड़े तमाम तरह के सुखों को प्रदान करने वाले एकादशी व्रत में कामदा एकादशी का व्रत इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसे करने पर भगवान विष्णु शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी कामनाओं को पूरा करने का वरदान प्रदान करते हैं.
कैसे करें कामदा एकादशी की पूजा
कामदा एकादशी व्रत वाले दिन साधक को प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले भगवान सूर्य नारायण को तांबे के लोटे से जल देना चाहिए, इसके पश्चात् भगवान श्री विष्णु की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराने के बाद पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई आदि अर्पित करना चाहिए. इसके बाद गोमाता के दूध से बने शुद्ध घी का दीया जलाकर एकादशी की कथा पढ़ना फिर दूसरे के द्वारा कहे जाने पर श्रद्धापूर्वक सुनना चाहिए.
इस उपाय से पाएं एकादशी का पुण्य फल
भगवान श्री विष्णु की कृपा दिलाने वाले एकादशी व्रत में पूजा करते भगवान विष्णु की प्रिय चीजों को अवश्य समर्पित करना चाहिए. मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा में पीले वस्त्र, पीला चंदन, पीले पुष्प, पीले फल के साथ उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय मानी जाने वाली तुलसी दल को अवश्य चढ़ाना चाहिए. मान्यता है जो फल भगवान विष्णु को हीरे-मोतियों की माला पहनाने से नहीं मिल पाता है, वह मात्र तुलसी दल चढ़ाने से ही प्राप्त हो जाता है. मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने वाले साधक को दिन में नहीं सोना चाहिए और खाली समय में भगवान विष्णु के मन्त्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का यथासंभव जप या फिर विष्णुसहस्रनाम का श्रवण या पाठ करना चाहिए.
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