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- इस दिन है कालाष्टमी...
हिंदी पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। कालाष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है और काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से जीवन से दुख, दरिद्रता और परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन शिवालयों और मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान शिव के रूप में काल भैरव देव का आह्वान किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भैरव शब्द का अर्थ है भय को हराने वाला। यानी जो उपासक काल भैरव की उपासना करता है काल भैरव उसके सभी प्रकार के भय हर लेते हैं। मान्यता है कि काल भैरव में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां समाहित रहती है। ऐसे में आइए आज जानते हैं वैशाख माह में कालाष्टमी कब है और इसकी पूजा पूजा विधि के बारे में....
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 27 मिनट पर हो रही है। ये तिथि अगले दिन 24 अप्रैल रविवार को सुबह 04 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार कालाष्टमी व्रत 23 अप्रैल को रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बना हुआ है। इस दिन साध्य योग देर रात्रि 01 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 06 बजकर 54 मिनट से शुरू होगा। जो अगले दिन 24 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा त्रिपुष्कर योग सुबह 05 बकर 48 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 24 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म और स्नान आदि करने के बाद भगवान भैरव की पूजा- अर्चना करें। इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
पूजा के दौरान घर के मंदिर में दीपक जलाएं, आरती करें और भगवान को भोग लगाएं। एक बात का ध्यान जरूर रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।
मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही भैरव भगवान की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा भी मिल जाता है।