- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Kalashtami 2024: ...
धर्म-अध्यात्म
Kalashtami 2024: कालभैरव ने क्यों काटा ब्रह्मा का सिर? जानें रोचक कथा
Tara Tandi
20 Nov 2024 10:52 AM GMT
x
Kalashtami ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन कालाष्टमी व्रत को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप भगवान कालभैरव की विधिवत पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है
मान्यता है कि ऐसा करने से कालभैरव का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही धन धान्य में वृद्धि होती है। इस बार कालाष्टमी का व्रत पूजन 22 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन पूजा पाठ के दौरान अगर कालभैरव की व्रत कथा का पाठ किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और साधक को अपनी साधना का पूर्ण फल प्राप्त होता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कालाष्टमी की व्रत कथा।
यहां जानें कालाष्टमी की व्रत कथा
शिवपुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मदेव को ये अभिमान हो गया और वे स्वयं ही सृष्टि का रचयिता और परमतत्व हैं। वे स्वयं को अन्य सभी देवों से श्रेष्ठ मानने लगे। वेदों से जब ब्रह्मदेव ने इसके बारे में पूछा तो उन्होंने शिवजी को परम तत्व बताया, लेकिन फिर भी ब्रह्मदेव ही स्वयं को श्रेष्ठ बताने लगे।
महादेव ने लिया कालभैरव अवतार
उसी समय एक तेज प्रकाश के साथ पुरुषाकृति वहां प्रकट हुई। महादेव ने उस पुरुषाकृति से कहा कि ‘काल की तरह शोभित होने के कारण आप कालराज हैं। भीषण होने से भैरव हैं। काल भी आपसे भयभीत रहेगा, अत: आप कालभैरव हैं।’ शिवजी से इतने सारे वरदान पाकर कालभैरव ने अपनी उंगली के नाखून से ब्रह्मा का पांचवां मस्तक काट दिया।
कालभैरव पर लगा ब्रह्महत्या का पाप
ब्रह्मदेव का मस्तक काटने के कारण कालभैरव पर ब्रह्महत्या का पाप लगा, जिसके कारण ब्रह्मा का मस्तक उनके हाथ से चिपक गया। महादेव ने इस पाप से मुक्ति के लिए कालभैरव को काशी जाने को कहा। जब कालभैरव काशी पहुंचें तो ब्रह्मा का वह मस्तक अपने आप ही उनके हाथ से अलग हो गया। शिवजी ने कालभैरव को काशी का कोतवाल नियुक्त कर दिया।
इसलिए मनाते हैं कालभैरव अष्टमी
शिवपुराण के अनुसार, अगहन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि पर ही महादेव ने कालभैरव अवतार लिया था, इसलिए हर साल इसी तिथि पर कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। कालभैरव की पूजा सात्विक और तामसिक दोनों रूपों में की जाती है यानी इन्हें मांस-मदिरा का भोग भी लगाया जाता है। इनकी कृपा से हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं और किसी तरह का कोई भय भी नहीं सताता।
TagsKalashtami कालभैरवकाटा ब्रह्मा सिररोचक कथाKalashtami Kalabhairavcut Brahma's headinteresting storyजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilslaiToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार
Tara Tandi
Next Story