धर्म-अध्यात्म

Kalashtami 2024: कालाष्टमी के दिन इस शुभ मुहूर्त और योग में करें पूजा, बनेंगे बिगड़े काम

Bharti Sahu 2
22 Oct 2024 3:35 AM GMT
Kalashtami 2024: कालाष्टमी के दिन इस शुभ मुहूर्त और योग में करें पूजा, बनेंगे बिगड़े काम
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Kalashtami 2024: हिन्दू धर्म में कालाष्टमी पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है. जो भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है. इस दिन पूजा करने से काल भैरव की कृपा से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं, जैसे कि ग्रह दोषों से मुक्ति, शत्रुओं का नाश और मनोकामनाओं की पूर्ति आदि. ऐसी मान्यता है कि काल भैरव की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाए, तो वे लोगों की इच्छाएं अवश्य पूरा करते हैं और जीवन में लोगों के बिगड़े हुए काम भी जल्द बनने लगते हैं. इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और सभी परेशानियां खत्म होती हैं|
कालाष्टमी का महत्व Kalashtami Ka Mahatva
मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव की विधान से पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और लोगों को ग्रह दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है. इसके अलावा रोगों से मुक्ति मिलती है और धन लाभ के साथ आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है. जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है. भगवान काल भैरव की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है और कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों का निवारण होता है.
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 25 अक्टूबर देर रात 01 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी. कालाष्टमी पर निशा काल में भैरव देव की पूजा की जाती है. ऐसे में 24 अक्टूबर को कार्तिक माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. मान्यता है इन तीनों मुहूर्तों में पूजा करने से लोगों को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी.
कालाष्टमी पूजा सामग्री Kalashtami Puja Samagri :
काल भैरव की मूर्ति, धूप, दीप, फूल (काले या नीले रंग के), अक्षत, रोली, चंदन, नैवेद्य (भोग), जल, कपूर आदि चीजें काल भैरव की पूजा में अवश्य शामिल करें, क्योंकि इन चीजों के बिना कालभैरव की पूजा अधूरी मानी जाती है.
कालाष्टमी पूजा विधि Kalashtami Puja Vidhi :
कालाष्टमी के दिन सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें.
पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से छिड़क दें.
एक चौकी पर काल भैरव की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें.
धूप, दीपक जलाकर फूल, अक्षत, रोली और चंदन चढ़ाएं.
पूजा के समय नैवेद्य अर्पित करें और मंत्रों का जाप करें.
काल भैरव चालीसा या स्तोत्र का पाठ आवश्य करें|
पूजा के समय इन बातों का रखें ध्यान
काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए शराब का भोग लगाने की परंपरा है, लेकिन यह वैकल्पिक है.
कालाष्टमी के दिन शराब का सेवन नहीं करना चाहिए.
पूजा करते समय काले या नीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
कालाष्टमी के दिन व्रत रखना भी शुभ माना जाता है.
पूजा के दौरान मन में किसी भी प्रकार का भय या नकारात्मक भावना नहीं रखनी चाहिए|
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