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धर्म-अध्यात्म
Kalashtami 2021 : 31 जुलाई को मनाई जायेगी कालाष्टमी, काल भैरव की साधना करने से भय को भगाये
Deepa Sahu
29 July 2021 3:33 PM GMT
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सनातन परंपरा में तमाम तरह की देवी–देवताओं की पूजा करने का विधान है.
सनातन परंपरा में तमाम तरह की देवी–देवताओं की पूजा करने का विधान है लेकिन इसमें शीघ्र ही प्रसन्न होकर सभी आपदाओं से बाहर निकालने वाले देवता का नाम भगवान भैरव है. देवों के देव महादेव का अवतार माने जाने वाले भगवान भैरव की कृपा से जीवन का बड़ा से बड़ा संकट कट जाता है. भय को दूर करने वाले काल भैरव से जुड़ी पावन कालाष्टमी तिथि 31 जुलाई 2021 को पड़ने जा रही है. रुद्रायमल तंत्र में भगवान भैरव के 64 अवतार बताए गये हैं . हालांकि काल भैरव और बटुक भैरव की लोग अधिक पूजा करते हैं.
कब और कैसे करें काल भैरव का पूजन
अक्सर लोग इस भ्रम में रहते हैं कि भैरव एक उग्र देवता हैं, इसलिए उनकी साधना नहीं करना चाहिए. जबकि यह पूरी तरह से गलत है. दरअसल भगवान भैरव की उग्र और सात्विक दोनों तरह से साधना होती है. इसमें उग्र साधना वाममार्गी होती है. अमूमन लोग उनकी सात्विक साधना ही किया करते हैं. बहरहाल, भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए आप किसी भी दिन उनके नाम का जप, पूजन आदि कर सकते हैं लेकिन कालाष्टमी और रविवार के दिन उनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है. इसदिन आप विधि–विधान से उनकी पूजा करते हुए भगवान भैरव के नीचे दिये गये हुए मंत्र का जप करें.
– 'ॐ कालभैरवाय नम:.'
– 'ॐ भयहरणं च भैरव:.'
– 'ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्.'
– 'ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं.'
भगवान भैरव की सच्चे मन से साधना–आराधना करने पर सभी तरह की बलाएं टल जाती हैं. आइए जानते हैं कि कालाष्टमी के दिन भैरव पूजा करने से कौन से बड़े लाभ मिलते हैं —
शत्रुओं से बचने के लिए
यदि आपको हर समय शत्रुओं का खतरा बना रहता है तो आपके लिए भैरव साधना संजीवनी का काम करेगी. शत्रुओं से जुड़े भय को दूर करने के लिए आप बटुक भैरव की साधना करें.
मुश्किलों से निकलने के लिए
जीवन से जुड़ी कैसी समस्या या परेशानी हो, भगवान भैरव की कृपा मिलते ही वह चमत्कारिक रूप से जल्द ही दूर हो जाती है. यही कारण है कि भगवान भैरव के बटुक रूप को 'आपदुद्धारक' कहा जाता है.
राहु-केतू के कष्ट दूर करने के लिए
ज्योतिष के अनुसार राहु के रोड़े और केतु के कष्ट को दूर करने के लिए भगवान भैरव की साधना अत्यंत लाभदायक है. इसलिए यदि आपकी कुंडली में राहु–केतू अशुभ फल प्रदान कर रहे हों तो आप उनकी अशुभ दशा से बचने के लिए विशेष रूप से भगवान भैरव की साधना करें.
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