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धर्म-अध्यात्म
कजरी तीज आज, जानें क्यों रखा जाता है ये व्रत और क्या है पौराणिक कथा
SANTOSI TANDI
2 Sep 2023 12:33 PM GMT
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व्रत और क्या है पौराणिक कथा
सनातन धर्म में त्योहारों का बहुत महत्त्व है और उन्हीं महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है कजरी तीज. कजरी तीज भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखती हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से पति की उम्र लंबी होती है. कजरी तीज को कजली तीज और सतूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन जो भी अविवाहित कन्या व्रत रखती है उसे सुयोग्य वर प्राप्त होता है. कजरी तीज के दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस साल कजरी तीज आज यानी 2 सितंबर को मनाई जा रही है.
कजरी तीज की पौराणिक कथा
हिंदू धर्म में हर त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है. उसी तरह कजरी तीज की भी कई पौराणिक कथाएं हैं. उनमें से एक है भगवान शिव और मां पार्वती की कथा. पुराणों के अनुसार देवी पार्वती चाहती थीं कि भोलेनाथ उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार करें. इसके लिए शंकर भगवान ने मां पार्वती को अपनी भक्ति साबित करने के लिए कहा. तब मां पार्वती ने 108 साल तक तपसाया करके अपनी भक्ति साबित की थी.
मां पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां को अपना लिया और जिस दिन उनका मिलन हुआ उस दिन भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि थी. तब से उस दिन करजी तीज के रूप में मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है.
कजरी तीज व्रत का महत्व और लाभ
सनातन धर्म में इस पर्व को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जात है. आज के दिन पूरी श्रद्धा से मां पार्वती और भगवान शंकर की पूजा करने से कुवांरी कन्याओं को अच्छा वर मिलता है और सुहागिनों के पति की उम्र लंबी होती है. कजरी तीज का व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है. इस दिन नीम के पेड़ की पूजा की जाती है. इस दिन हलवा, गुजिया, घेवर, काजू का भोग लगाने से घर में धन धान्य की वृद्धि होती है.
कजरी तीज के दिन सुहागिनें पति की लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं. इस दिन सोलह श्रृंगार कर विधि विधान से गौरी शंकर की पूजा करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
SANTOSI TANDI
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