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धर्म-अध्यात्म
24 जून तक रहेगा ज्येष्ठ महीना, इस महीने में स्नान, तिल और जल दान के साथ ही एक समय भोजन करना चाहिए
Nilmani Pal
4 Jun 2021 12:38 PM GMT
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ऋषि-मुनियों ने पर्यावरण की रक्षा को देखते हुए इस महीने के व्रत त्योहारों की व्यवस्था की गई थी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू कैलेंडर का ज्येष्ठ महीना 24 जून तक रहेगा। इस महीने के बीच में यानी 10 जून को अमावस्या पर साल का पहला सूर्यग्रहण भी रहेगा। ग्रंथों के अनुसार इस महीने में स्नान, तिल और जल दान के साथ ही एक समय भोजन करना चाहिए। इस महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों के अनुसार जल और पेड़ पौधों की पूजा भी करनी चाहिए। ऋषि-मुनियों ने पर्यावरण की रक्षा को देखते हुए इस महीने के व्रत त्योहारों की व्यवस्था की गई थी।
कैसे पड़ा महीने का नाम ज्येष्ठ पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक ये साल का तीसरा महीना होता है। इस महीने का स्वामी मंगल होता है। इसके आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि के साथ ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बनता है। इसलिए इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है। प्राचीन काल गणना के अनुसार इस महीने में दिन बड़े होते हैं और इसे अन्य महीनों से बड़ा माना गया है। जिसे संस्कृत में ज्येष्ठ कहा जाता है। इसलिए इसका नाम ज्येष्ठ हुआ।
ज्येष्ठ महीने में क्या करें और क्या नहीं? - ज्येष्ठ महीने के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए और साथ ही इन दिनों धूप में नहीं चलना चाहिए। - इस महीने में वातावरण और शरीर में जल का स्तर कम होने लगता है। इसलिए जल का सही और पर्याप्त इस्तेमाल करना चाहिए। - रोज सुबह जल्दी उठकर नहाएं। इसके बाद पेड़-पौधों में पानी डालें और लोगों को पानी पिलाने की व्यवस्था करें। पानी की बर्बादी न करें। पानी से भरे घड़े और छाते का दान करें। - इस माह में ज्यादा मसालेदार भोजन को भी निषेध माना गया है. इससे चक्कर आने और घबराहट होने की समस्या हो सकती है. पेट बिगड़ सकता है. पाचन तंत्र से जुड़े पुराने रोग उभर सकते हैं। - इस माह में रसदार फलों के सेवन को उचित माना गया है. इस माह में पेय पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए. साथ ही भोजन भी समय पर कर लेना चाहिए। - ग्रंथों के मुताबिक इस महीने में दिन में सोने की मनाही है। शरीरिक परेशानी या अन्य समस्या हो तो एक मुहूर्त तक यानी करीब 48 मिनिट तक सो सकते हैं। - सूर्योदय से पहले स्नान और पूरे महीने जल दान करना चाहिए। इसके साथ ही इस महीने जल व्यर्थ करने से वरुण दोष लगता है इसलिए फालतू पानी बहाने से बचना चाहिए। - इस महीने में बैंगन नहीं खाया जाता। इससे संतान को कष्ट मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार इससे शरीर में वात रोग और गर्मी बढ़ती है। इसलिए पूरे महीने बैंगन खाने से बचना चाहिए। - महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है-"ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।" यानी ज्येष्ठ महीने में जो व्यक्ति एक समय भोजन करता है वह धनवान होता है। इसलिए संभव हो तो इन दिनों में एक समय भोजन करना चाहिए। - इस महीने में तिल का दान करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और स्वास्थ्य सुख भी मिलता है। - ज्येष्ठ महीने का स्वामी मंगल है। इसलिए इन दिनों में हनुमानजी की पूजा का भी बहुत महत्व है। इस महीने हनुमानजी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
Nilmani Pal
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