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Jyeshta Month 2023: ज्येष्ठ माह बेहद खास महीना, इस माह जल दान
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदी कैलेंडर का तीसरा महीना ज्येष्ठ चल रहा है। ज्येष्ठ के महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है। इस महीने में गर्मी इतनी अधिक पड़ती है कि पानी के लगभग सभी स्त्रोत जैसे नदी, तालाब, कुंड और झरने सभी सूख जाते हैं। ज्येष्ठ का महीना सबसे ज्यादा गर्म होने की वजह से यह सबसे ज्यादा कष्टकारी रहता है। इस महीने सूर्यदेव का रौद्र रूप धरती पर सबसे ज्यादा पड़ता है। जिस कारण सभी नदियों और तालाब में बहुत ही कम पानी रह जाता है। जिसके कारण पशु-पक्षियों का जीवन भी कष्टकारी हो जाता है। हिंदू धर्म और मान्यताओं में ज्येष्ठ माह में जल के संरक्षण को विशेष ध्यान रखते है इस तरह के व्रत और त्योहार रखे जाते हैं जिसमें पानी के महत्व के बारे में बताया जाता है। ज्येष्ठ महीने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत रखे जाते हैं। यह व्रत प्रकृति में जल को बचाने का संदेश देते हैं। गंगा दशहरा में नदियों की पूजा और निर्जला एकादशी में बिना जल का व्रत रखा जाता है। ज्येष्ठ माह को आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है। इस महिने में भारत के उत्तरी भाग में भीषण गर्मी पड़ती है। माह के शुरुआती दिनों में नौतपा के चलते तेज गर्म हवाएं चलती हैं। शास्त्रों में ज्येष्ठ के महिने का खास धार्मिक महत्व बताया गया है।
जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है इसलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है। ज्येष्ठ मास में जल दान उपयुक्त माना गया है। पक्षियों के लिए घर की छत या बगीचे में जल का पात्र भर कर रखे जाते हैं। पशु-पक्षी भी प्रकृत्ति की अनमोल देन है और साथ-साथ ये ज्योतिष की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। आपने देखा होगा कि हर देवी-देवता का कोई ना कोई वाहन होता है जो पशु या पक्षी है, मान्यताओं के अनुसार इन वाहनों की पूजा करने से संबंधित देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कुछ ऐसा ही ज्योतिष शास्त्र में देखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल के हर ग्रह का संबंध किसी ना किसी पक्षी या पशु से होता है, अगर ग्रह को शांत या प्रसन्न करना है संबंधित पक्षियों या पशुओं की सेवा करनी चाहिए।