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बृहस्पति आज करेंगे राशि परिवर्तन, सेहत संबंधी परेशानियां हो सकती है कम...
![बृहस्पति आज करेंगे राशि परिवर्तन, सेहत संबंधी परेशानियां हो सकती है कम... बृहस्पति आज करेंगे राशि परिवर्तन, सेहत संबंधी परेशानियां हो सकती है कम...](https://jantaserishta.com/h-upload/2020/11/20/854843-brihaspati-rashi-parivartan.webp)
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नवंबर का महीना ग्रहों की स्थिति में भारी फेरबदल वाला रहा है। इसी क्रम में अब बारी है गुरु के राशि परिवर्तन की। गुरु 20 नवंबर को शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे। वहीं शनि इस राशि में पहले से हैं। गुरु के आने के बाद दोनों ग्रहों का अद्भुत संयोग होगा। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि देव गुरु बृहस्पति 20 नवंबर को दोपहर करीब 1:30 पर अपनी ही राशि से निकलकर मकर में में प्रवेश करेंगे। मकर राशि में पहले से ही शनि है। अब 20 नवम्बर से लेकर 6 अप्रैल 2021 तक गुरु और शनि मकर राशि में रहेंगे। शनि का अपनी ही राशि में होना और उसके साथ गुरु का होना नीचभंग राजयोग बना रहा है। ग्रहों की ये युति बड़े बदलाव के संकेत दे रही है। इस राशि में बृहस्पति बहुत कमजोर होते हैं। गुरु अर्थात बृहस्पति को जीवनसाथी के सुख, धर्म, संतान, विद्या, बडे़ भाई, सोना, ज्योतिष आदि का कारक माना जाता है। गुरु और शनि का यह मिलन कुछ राशियों के लिए शुभफलदायी होगा तो कुछ राशियों को इस परिवर्तन के बाद सावधान रहने की जरूरत है।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष की नजर में गुरु और शनि का आपस में कोई वैर संबंध नहीं माना जाता। गुरु और शनि दोनों एक दूसरे के प्रति सम संबंध रखते हैं। इससे पहले इसी साल बृहस्पति 30 मार्च से 30 जून तक मकर राशि में शनि के साथ था और उससे पहले ऐसा 1961 में हुआ था। मकर राशि शनि देव की राशि है और शनि स्वयं वर्तमान समय में इसी राशि पर गोचर कर रहे हैं अतः वृहस्पति के आ जाने से शनि और गुरु की एक साथ युति फलित ज्योतिष में अप्रत्याशित परिणाम दिलाने वाली सिद्ध होगी। वक्री-मार्गी अवस्था में गोचर करते हुए गुरु मकर राशि में 20 नवंबर 2021 की रात्रि 11 बजकर 17 मिनट तक रहेंगे। उसके बाद कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु कर्क राशि में उच्चराशिगत एवं मकर राशि में नीचराशिगत संज्ञक होते हैं।
प्रभाव:
अपनी नीच राशि में आ जाने के बाद बृहस्पति अनिष्ट फल तो नहीं देता, लेकिन उसका शुभ प्रभाव कम हो जाता है। बृहस्पति के राशि बदलने के कारण लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार करने वाले लोगों को स्थान परिवर्तन के साथ सुखद संकेत भी मिल सकते हैं। राजनीति से जुड़े कुछ लोगों को जनता का सहयोग मिल सकता है। बुद्धि और ज्ञान बढ़ेगा। कुछ नया सीखने को मिलेगा। सेहत संबंधी परेशानियां भी कम हो सकती है। बृहस्पति और शनि की युति बनने से न्याय मिलेगा। जॉब-बिजनेस और अन्य कई मामलों में निष्पक्ष फैसले भी होने के योग बन रहे हैं।इसके अलावा देश की राजनीति में उथल-पुथल हो सकती है। आर्थिक स्थितियों में भी अनचाहे बदलाव हो सकते हैं। वित्तीय व्यवस्था भी डगमगा सकती है। इससे पहले भी जब गुरु-शनि मकर राशि में 1961 और 1902 में कुछ इसी तरह की स्थितियां बनी थीं। गुरु को धन और आर्थिक स्थिति का कारक ग्रह माना गया है। वहीं, शनि कष्ट, आपदाओं और काल के कारक ग्रह हैं। इस स्थिति में मकर राशि में दोनों का एक साथ होना प्राकृतिक आपदाओं और आर्थिक व्यवस्थाएं डगमगाने के संकेत दे रहा है।
शिक्षा क्षेत्र में बदलाव:
ग्रहों की युति बनने से मिलन के चलते होने वाली घटनाओं के बारे में बताया जा रहा है कि शनि व गुरु का मकर राशि में युति का प्रभाव लंबे समय से जो कानूनी मामले लंबित पड़े थे, उनके फैसले होने की संभावना बनेगी। इससे सत्ता में बदलाव का योग है। देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। शिक्षा क्षेत्र में कई तब्दीलियां देखने को मिलेंगी। आईटी क्षेत्र में फिर से उछाल आने लगेगा। सभी जातकों को आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाए रखने के लिए अपने खर्चों पर काबू पाना होगा। गुरु का गोचर काल मे घन का संचय करने वालो को लाभ है।
ज्ञान, कर्म और धन के कारक है गुरु:
बृहस्पति को शुभ ग्रह माना जाता है। इसके प्रभाव से तरक्की के मौके मिलते हैं। ये ज्ञान, कर्म, धन, पुत्र और विवाह का भी कारक माना जाता है। इसी ग्रह के प्रभाव से कुछ लोग अध्यात्म में बहुत आगे बढ़ जाते हैं। ये ग्रह ज्ञान देने वाला होता है। माना जाता है कि देव गुरु बृहस्पति आध्यात्मिक ज्ञान और बुद्धि को प्रभावित करता है। जिस इंसान पर बृहस्पति का शुभ प्रभाव होता है उसे किसी चीज की कमी नहीं रहती। ऐसा इंसान यश और सम्मान पाता है। बृहस्पति के कारण देश के उत्तरी हिस्सों में सीमा से जुड़े मामले या महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं। मौसम में ठंडक बढ़ सकती है।