धर्म-अध्यात्म

Jivitputrika Vrat 2021 कब है जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व

Tulsi Rao
28 Sep 2021 2:58 AM GMT
Jivitputrika Vrat 2021 कब है जीवित्पुत्रिका व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व
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हिंदू धर्म के आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat)रखा जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया (Jitiya) के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत को पुत्र के दीर्घायु, सुखी और निरोगी जीवन के लिए रखा जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म के आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat)रखा जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया (Jitiya) के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत को पुत्र के दीर्घायु, सुखी और निरोगी जीवन के लिए रखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है. इस व्रत में फल, जल और अन्न कुछ भी ग्रहण नही करती है. इस बार जीतिया का व्रत 29 सितंबर 2021 बुधवार के दिन पड़ेगा. आइए जानते हैं जीतिया व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में.

जीवित्पुत्रिका कब है
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शाम 06 बजकर 16 मिनट से शुरू हो जाएगा. अष्टमी तिथि का समापन 29 सितंबर को रात 08 बजकर 29 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि होने की वजह से 29 सितंबर 2021 को जितिया का व्रत रखा जाएगा.
ये सबसे कठिन व्रत में से एक होता है. ये व्रत तीन दिन तक चलत है. पहले दिन नहाए खाए. दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है. इस बार ये व्रत 28 से लेकर 30 सितंबर तक चलेगा.
जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि
महिलाएं पुत्र की लंबी उम्र के लिए जीमूतवाहन की पूजा अर्चना करती है. इस दिन महिलाएं चील और शियार की गोबर से मूर्ति बनाई जाती है. सबसे पहले जीमूतवाहन भगवान को धूप, दीप, फूल और अक्षत चढ़ाएं. इस दिन चील और सियार की मूर्ति की भी पुजा की जाती है. इसके बाद व्रत कथा सुनें और बाद में आरती करें. इन दिन पेड़ा, दूब, खड़ चावल, इलायची ,पान, सुपारी चढ़ाया जाता है. महिलाएं जितिया के दिन सरसों के तेल और खली चढ़ाई जाती है. इन चीजों को चढ़ाने से बच्चों को किसी प्रकार की बुरी नजर नहीं लगती है.
जीवित्पुत्रिका महत्व
जीवित्पुत्रिका व्रत करने वाली महिलाएं नहाएं खाएं के बाद से अगले पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन दैनिक पूजा करने के बाद भोजन करती हैं. इस व्रत को करने से बच्चों को दीर्घायु, निरोगी काय होने का आशीर्वाद मिलता है.


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