- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- जन्माष्टमी में 8 वर्ष...
जन्माष्टमी में 8 वर्ष बाद जयंती योग, जानिए शुभ मुहूर्त और संतान प्राप्ति के मंत्र
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत में दो ऐसे युग पुरुष हुए हैं जिनके जन्मोत्सव सदियों से धार्मिक आयोजन के रूप में मनाए जाते हैं। इतिहासकारों के अनुसार भगवान राम का जन्म लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व तथा भगवान कृष्ण का 5000 साल पहले का माना गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से भगवान राम का जन्म नवमी के दिन अभिजीत मुहूर्त अर्थात दोपहर 12 बजे हुआ तथा भगवान कृष्ण का अष्टमी की मध्यरात्रि अभिजीत मुहूर्त में ही हुआ था। यह एक ऐसा मुहूर्त होता है जिसमें हर कार्य में विजय प्राप्त होती है।
महापुण्यप्रदायक जयंती योग
श्रीमद्भागवत भविष्य पुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि बुधवार रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ राशि के चंद्रमा कालीन अर्धरात्रि के समय हुआ था। कई बार वृषभ राशि में चंद्रमा तो होता है परंतु राहिणी नक्षत्र नहीं होता इसलिए असमंजस की स्थिति बन जाती है, परंतु इस वर्ष 2021 में ठीक 8 साल बाद यह दुर्लभ संयोग बन रहा है जब रोहिणी नक्षत्र भी होगा और राशि भी बृष होगी। हां! बुधवार की बजाय सोमवार पड़ेगा। गौतमी तंत्र नामक ग्रन्थ तथा पदमपुराण के अनुसार, यदि कृष्णाष्टमी सोमवार या बुधवार को पड़े तो यह दिवस जयंती के नाम से विख्यात होता है और अत्यंत शुभ एवं शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि 29 अगस्त, रात 11:25 बजे शुरू होगी, जो 30 अगस्त रात 1:59 बजे तक रहेगी। इसीलिए इस साल पर्व 30 अगस्त को होगा। जन्माष्टमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त, रात 11:59 बजे से देर रात 12:44 बजे तक का रहेगा। इस दिन मध्यरात्रि मुहूर्त में ही बाल गोपाल का जन्मोत्सव होगा। इस दिन बाल कृष्ण की पूजा के लिए आपको कुल 45 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा।
जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोग मुख्यत: दिनभर व्रत रखते हैं और रात्रि में बाल गोपाल श्रीकृष्ण के जन्म के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं और उसी समय अन्न ग्रहण करके व्रत का पारण कर लेते हैं। हालांकि कई स्थानों पर अगले दिन प्रात: पारण किया जाता है। इस स्थिति में आप 31 अगस्त को प्रात: 09 बजकर 44 मिनट के बाद पारण कर सकते हैं क्योंकि इस समय ही रोहिणी नक्षत्र का समापन होगा।
व्रत कब और कैसे रखा जाए?
सुबह स्नान के बाद ,व्रतानुष्ठान करके ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप करें। पूरे दिन व्रत रखें। फलाहार कर सकते हैं। रात्रि के समय ठीक बारह बजे, लगभग अभिजित मुहूर्त में भगवान की आरती करें। प्रतीक स्वरुप खीरा फोड़ कर, शंख ध्वनि से जन्मोत्सव मनाएं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर नमस्कार करें। तत्पश्चात मक्खन, मिश्री, धनिया, केले, मिष्ठान आदि का प्रसाद ग्रहण करें और बांटें। अगले दिन नवमी पर नन्दोत्सव मनाएं। भगवान कृष्ण की आराधना के लिए आप यह मंत्र पढ़ सकते हैं।
ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिशां पते!
नमस्ते रोहिणी कान्त अर्घ्य मे प्रतिगृह्यताम्!!
संतान प्राप्ति के लिए
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति, संतान गोपाल मंत्र का जाप पति-पत्नी दोनों मिलकर करें, अवश्य लाभ होगा।
मंत्र है- देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते!
देहिमे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः!!
दूसरा मंत्र-
क्लीं ग्लौं श्यामल अंगाय नमः !!
विवाह विलंब के लिए मंत्र है
ओम् क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्ल्भाय स्वाहा।
इन मंत्रों की एक माला अर्थात 108 मंत्र कर सकते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजन के साथ-साथ व्रत रखना भी बहुत फलदायी माना जाता है। कहा जाता है, कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने से बहुत लाभ मिलता है। कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज भी कहा जाता है। इस व्रत का विधि-विधान से पालन करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है।