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इस दिन है जया पार्वती व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व

Subhi
23 Jun 2022 5:48 AM GMT
इस दिन है जया पार्वती व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व
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आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 12 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है। जया पार्वती व्रत को विजया व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 12 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है। जया पार्वती व्रत को विजया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं और अविवाहित कन्याओं के लिए खास महत्व रखती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से इस व्रत को रखती हैं। इस दिन अविवाहित कन्याएं और विवाहित महिलाएं बालू या रेत का हाथी बनाकर उस पर 5 दिन तक 5 तरह के फल, फूल और प्रसाद चढाती हैं। माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा करती हैं. सुहागिन स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर पाने की चाहत से यह व्रत करती हैं। भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत 5 दिनों में पूरा होता है। इस साल 2022 में यह व्रत 12 जुलाई दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। जया पार्वती का व्रत 5 दिनों की कठिन पूजा विधि के साथ संपन्न किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस बार जया पार्वती व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व के बारे में।

जया पार्वती व्रत 2022 तिथि और शुभ मुहूर्तपंचांग के मुताबिक जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया तक चलती है। 5 दिन तक चलने वाला जया पार्वती व्रत इस बार 12 जुलाई, मंगलवार से 17 जुलाई 2022 रविवार तक चलेगा।

जय पार्वती व्रत का महत्व

जया पार्वती व्रत को विजया व्रत भी कहते हैं। यह व्रत मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है। जया पार्वती का व्रत विवाहित और कुंवारी कन्याएं रखती हैं। जया पार्वती व्रत में माता पार्वती और शिव की पूजा की जाती है। यह व्रत बहुत ही कठिन होता है और लगातार पांच दिनों तक चलता है। सभी विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए जया पार्वती व्रत करती हैं, और कुंवारी कन्या अच्छे वर की प्राप्ति के लिए पूरी श्रद्धा के साथ जया पार्वती व्रत को करती हैं।

जय पार्वती व्रत की विधि

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्त्रियां सबसे पहले स्नान करके पूजा स्थल को साफ करें।

भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करके उस पर कुमकुम, रोली, चंदन, फूल चढ़ाकर पूजा करती हैं।

नारियल, अनार तथा अन्य सामग्री चढ़ाकर विधि विधान से पूजा करें।

ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए माता पार्वती और भगवान शिव का ध्यान करें।

जया पार्वती व्रत का समापन करते समय सर्वप्रथम किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं तथा वस्त्र और यथासंभव धन दान दें। इस दिन जया पार्वती के व्रत की कथा सुननी चाहिए।


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