धर्म-अध्यात्म

Jaya Ekadashi 2025: जानें क्यों खास है जया एकादशी का व्रत, भगवान विष्णु की पूजा

Renuka Sahu
7 Feb 2025 5:13 AM GMT
Jaya Ekadashi 2025: जानें क्यों खास है जया एकादशी का व्रत, भगवान विष्णु की पूजा
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Jaya Ekadashi 2025: पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी मनाई जाती है और इस साल 8 फरवरी 2025 को जया एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। ज्योतिषियों की मानें तो इस तिथि पर मृगशिर्षा नक्षत्र और वैधृति योग बन रहा है। इस योग में विष्णु जी की पूजा करने से साधक के धन धान्य में वृद्धि होती हैं और लंबे समय से रुके हुए काम भी पूरे होते हैं। ऐसे में आइए इस दिन की पूजा विधि के बारे में जानते हैं।साल में 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं जो सभी भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है। मान्यता है कि इस तिथि पर उनकी उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और धन की देवी माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। इस दौरान सभी एकादशी अपने विशेष महत्व और पूजा के लिए जानी जाती है। परंतु माघ शुक्ल की जया एकादशी सबसे महत्वपूर्ण है। इस दिन सृष्टि के संचालक भगवान श्री हरि की पूजा अर्चना करने और उपवास रखने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इतना ही नहीं प्रभु के प्रभाव से भूत-प्रेत, नकारात्मक शक्ति और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
क्यों खास है जया एकादशी ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जया एकादशी पर भगवान विष्णु के माधव रूप की पूजा की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि विधि विधान से विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं।
विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा
जया एकादशी पर सुबह ही स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें।
इस दौरान घर की साफ-सफाई का भी खास ध्यान रखें।
अब पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी लें।
फिर उसपर भगवान विष्णु की मूर्ति रखें और उसे गंगाजल से शुद्ध कर दें।
अब पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से भगवान का अभिषेक करें।
इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले वस्त्र अर्पित करें।
उन्हें फूल माला, मिठाई और फल अर्पित करते जाए।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने घी का दीप जलाएं।
अब एकादशी व्रत की कथा का पाठ करें।
भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
अंत में मां लक्ष्मी और विष्णु जी की आरती करें और प्रसाद वितरित कर दें।
भगवान विष्णु का बीज मंत्र
ॐ बृं
भगवान विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात:
भगवान विष्णु का स्तुति मंत्र
शांताकारं भुजगशयनं, पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं, मेघवर्णं शुभाङ्गम्।लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं, योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं, सर्वलोकैकनाथम्।।
भगवान विष्णु का शक्तिशाली मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
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