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धर्म-अध्यात्म
Jaya Ekadashi 2022: जया एकादशी का व्रत आज, पारण से पहले जान लें ये जरूरी नियम
Tulsi Rao
12 Feb 2022 6:59 PM GMT

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जिंदगी में भी आपको इसका अनुभव रहा हो, लेकिन इस रस्म को निभाने के पीछे की वजह क्या है?
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Jaya Ekadashi Paran Niyam: माघ माह (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है. इस बार जया एकादशी 12 फरवरी को मनाई जा रही है. बता दें कि जया एकादशी के दिन भगवना विष्णु जी (Lord Vishnu) और मां लक्ष्मी की पूजा (Maa Lakshmi Puja) का विधान है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के पिछले और वर्तमान समय के पाप नष्ट होते हैं और साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
धार्मिक ग्रंथों में जिक्र है कि एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat 2022) का पूर्ण फल की प्राप्ति तब ही होती है, जब व्रत के पूरे नियमों (Vrat Niyam) का पालन किया जाए. एकादशी के व्रत में पारण (Vrat Paran Rules) का भी अहम रोल है. व्रत का पारण कल 13 फरवरी (Ekadashi Vrat Paran) के दिन किया जाएगा. अगर नियमपूर्वक एकादशी के व्रत का पारण नहीं किया जाता, तो मान्यता है कि उपवास का पूरा फल नहीं मिलता. आइए जानते हैं एकादशी व्रत के पारण के कुछ जरूरी नियम.
जया एकादशी व्रत पारण नियम (Putrada Ekadashi Vrat Paran Niyam)
धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत का पारण (Ekadashi Vrat Paran) में समय का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ऐसा माना जाता है कि पारण अगर मुहूर्त के अनुसार नहीं किया जाए, तो व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता.
व्रत खोलने को पारण कहा जाता है. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि में किया जाता है. मान्यता है कि व्रत पारण सदैव सूर्योदय के बाद ही करें. शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही कर लें. कहते हैं कि अगर द्वादशी तिथि समाप्त होने के बाद अगर पारण किया जाता है, तो उससे साधक को पाप लगता है.
वहीं, ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि तिथि के घटने-बढ़ने के कारण द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही हो तो भी पारण सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए. साथ ही, पारण हरि वासर में करना भी अशुभ माना जाता है. द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई तिथि को हरि वासर कहा जाता है. व्रत पारण के लिए हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करें.
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