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धर्म-अध्यात्म
Janmashtami 2021 : जन्माष्टमी पर इस तरह करें शुभ श्रृंगार, कान्हा जी होंगे प्रसंन
Tulsi Rao
5 Aug 2021 12:13 PM GMT
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कान्हा अपने रूप और नटखट लीलाओं से हमेशा लोगों का मन मोहते हैं, लेकिन जन्माष्टमी पर इनका श्रृंगार हमेशा से सबसे बड़ा आकर्षण रहा है. आइए जानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कैसा होना चाहिए शुभ श्रृंगार.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीकृष्ण का रूप अनोखा है. वह अपने शरीर पर कई प्रकार की शुभ चीजों को धारण करते रहे हैं, लेकिन उन्हें पास रखने के कुछ जरूरी कारण भी होते हैं. जिनकी अपनी रोचक कथाएं हैं. आप भी कान्हा के श्रृंगार में इनका प्रतीक रखकर इच्छित लाभ पा सकते हैं.
बांसुरी : कहा जाता है कि श्रीकृष्णजी को सबसे पहली बांसुरी धनवा नाम के बांसुरी विक्रेता ने दी थी. एक अन्य कथा के अनुसार यह बांसुरी उन्हें भगवान शिव ने तब भेंट में दी थी, जब वे कान्हा को देखने आए थे. अंतिम बार कृष्ण ने राधा के आग्रह पर द्वारिका में बजाकर उनकी मृत्यु के बाद फेंक दी थी.
सुदर्शन चक्र : श्रीकृष्णजी चक्रधारी कहे गए हैं. महाभारत काल में सिर्फ उनके पास ही चक्र था, जिसे सुदर्शन चक्र कहा जाता है. मान्यता है कि यह उन्हें परशुरामजी से मिला था, हालांकि अवतार के तौर पर खुद चक्रधर विष्णुजी के अवतार हैं.
पाञ्चजन्य शंख : महाभारत काल में कृष्णजी के पास पाञ्चजन्य शंख था, जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी, यह शंख उन्हें तब मिला था जब वे गुरु सांदिपनी के पुत्र पुनरदत्त को ढूंढने समुद्र के भीतर दैत्यनगरी चले गए थे. उन्होंने देखा कि वहां एक शंख में दैत्य सोया है, उन्होंने दैत्य को मारकर शंख रख लिया.
मणि : स्यमंतक मणि के कारण श्रीकृष्ण को चोरी का आरोपी माना गया. कहा जाता है कि यह मणि जामवंतजी के पास थी. जामवंती से लाकर उन्होंने अक्रूरजी को दे दी थी, हालांकि श्रीकृष्ण के मुकुट में कई मणियां जड़ी होती थीं. विष्णुजी कौस्तुभ मणि धारण करते हैं.
मोर मुकुट : श्रीकृष्ण का मोर पंख मुकुट में लगाते हैं. मान्यता है कि महारासलीला के समय राधा ने देखा कि एक मोर पंख आंगन में गिरा है, उन्होंने श्रीकृष्ण के सिर पर बांध दिया. मथुरा जाने से पहले श्रीकृष्ण ने राधा को बांसुरी भेंट की तो राधा ने निशानी के तौर पर आंगन में गिरा वह मोर पंख सिर पर बांध दिया. वह पैरों की पायल पैंजनिया भी पहनते थे.
धनुष : भगवान श्रीकृष्ण सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर भी थे, उनके धनुष का नाम 'शारंग' था. श्रीकृष्ण का यह धनुष सींग से बना था. कुछ लोग मानते हैं कि वही सारंग है, जिसे कण्व की तपस्यास्थली के बांस से बनाया गया था. एक मत यह भी है कि यह धनुष उन्हें खांडव-दहन के वक्त वरुणदेव ने दिया था.
गदा : कृष्णजी कौमौदकी गदा, नंदक खड्ग और जैत्र नामक रथ रखते थे, जिनके सारथी का नाम दारुक/ बाहुक था. कान्हा को गाय, गाय, तुलसी, माखन मिश्री, पीपल, पंजरी बहुत पसंद है.
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