धर्म-अध्यात्म

आज से आरंभ हो रही जगन्नाथ रथ यात्रा, जानिए इससे जुड़ी 10 खास बातें

Renuka Sahu
1 July 2022 2:04 AM GMT
Jagannath Rath Yatra starting from today, know 10 special things related to it
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फाइल फोटो 

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ का रथउत्सव शुरू होता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ का रथउत्सव शुरू होता है। इस साल रथयात्रा का आरंभ 1 जुलाई से हो रहा है। पुरी में जगन्नाथ मंदिर से तीन सजे-धजे रथ निकलते हैं। जानिए रथयात्रा से जुड़ी 10 बड़ी बातें-

1. पुरी में रथयात्रा के लिए भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम व बहन सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं। रथयात्रा में सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है।
2. बलराम के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं। जिसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को 'पद्म रथ' या 'दर्पदलन' कहा जाता है, जो काले और लाल रंग का होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को 'गरुड़ध्वज' या 'नंदीघोष' कहते हैं, जो कि लाल और पीला होता है।
3. सभी रथ नीम की लकड़ियों से तैयार किए जाते हैं। जिसे 'दारु' कहते हैं। इसके लिए जगन्नाथ मंदिर में एक खास समिति का निर्माण किया जाता है।
4. रथ के निर्माण के लिे किसी भी प्रकार की कील, कांटे या अन्य धातु का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
5. रथों के लिए काष्ठ चयन बसंत पंचमी से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारंभ होता है।
6. भगवान जगन्नाथ का रथ 45.6 फीट ऊंचा, बलराम जी का रथ 45 फीट और देवी सुभद्रा का रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है।
7. जब ये तीन रथ बनकर तैयार हो जाते हैं तब 'छर पहनरा' नाम का अनुष्ठान कराया जाता है। इसके लिए पुरी के गजपति राजा पालकी में आते हैं और इन तीनों रथों की विधिवत पूजा करते हैं।
8. रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर पुरी नगर से गुजरते हुए गुंडीचा मंदिर पहुंचती है। यहां भगवान जगन्नाथ, बलरामजी और बहन सुभद्रा सात दिन विश्राम करते हैं।
9. गुंडीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवशिल्पी विश्वकर्मा ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं का निर्माण किया था।
10.आषाढ़ मास के दसवें दिन सभी रथ फिर से मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। रथों की वापसी की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।
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