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धर्म-अध्यात्म
Jagannath Rath yatra: पुरी में कोरोनाकाल में इन खास नियमों के साथ हो रहा है रथयात्रा का आयोजन
Deepa Sahu
12 July 2021 9:32 AM GMT
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उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन सोमवार 12 जुलाई को यानी आज हो रहा है।
उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन सोमवार 12 जुलाई को यानी आज हो रहा है। पिछली बार की तरह इस बार में भी कोरोनाकाल में रथ यात्रा का आयोजन हो रहा है इसलिए कुछ विशेष नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा। माना जा रहा है कि हर साल यहां लाखों लोगों की भीड़ रथ यात्रा में शामिल होती है, लेकिन इस बार पुजारियों मंदिर प्रशासन के कुछ गिने-चुने लोगों को ही यात्रा में शामिल होने दिया जाएगा। आइए आपको बताते हैं रथ यात्रा से जुड़ी खास बातें और नियम…
कोविड प्रोटोकॉल के बीच रथ यात्रा
जानकार बताते हैं कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ही इस साल भी रथ यात्रा का आयोजन होगा। रथ यात्रा से पहले शहर की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है। कोविड वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके कार्यकर्ताओं और आयोजकों को रथ यात्रा में शामिल किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष के कार्यक्रम के दौरान लगाई गई सभी पाबंदियां इस बार भी लागू रहेंगी। श्रद्धालु इन कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण टेलीविजन और वेबकास्ट पर देख पाएंगे।
9 दिन तक चलेगी यात्रा
इस यात्रा का आयोजन कुल 9 दिन तक होता है और इस बार केवल 500 सेवकों को ही रथ खींचने की अनुमति की होती है। जबकि हर साल लाखों लोग इस रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। लेकिन कोरोना की वजह से इस महा आयोजन पर भी कुछ पाबंदियां लगा दी गई हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ यात्रा में सबसे पीछे चलता है। सबसे आगे बलरामजी का रथ चलता है और दोनों भाइयों के रथ के बीच में बहन सुभद्रा का रथ रहता है।
हाई कोर्ट के आदेश का पालन
इससे पहले ओडिशा हाई कोर्ट ने इस मामले में 5 याचिकाओं को खारिज करते हुए सख्त हिदायत दी थी कि रथ यात्रा का आयोजन केवल कोविड-19 प्रोटोकॉल के सख्त अनुपालन के बीच ही किया जा सकता है। साथ ही यह भी कहा था कि आम लोगों को इस यात्रा में शामिल होने की इजाजत नहीं होगी और पुरी के सभी एंट्री पॉइंट भी यात्रा के दौरान बंद कर दिए जाएंगे।
मौसी के घर जाते हैं भगवान
यात्रा के तीसरे दिन भगवान जगन्नाथ का रथ बाकी दोनों रथों के साथ गुंडीचा मंदिर जाता है। जो कि भगवान श्रीकृष्ण की मौसी का घर कहलाता है। यहां 8वें दिन तक भगवान विश्राम करते हैं और 9वें दिन आषाढ़ शुक्ल दशमी को तीनों रथ वापस जगन्नाथ पुरी मंदिर में लौट आते हैं। 9 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में तमाम प्रकार की परंपराओं, पूजापाठ और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है।
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