धर्म-अध्यात्म

जगन्नाथ रथ यात्रा 2022: 3 शुभ योगों में शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा, कितनी दूर और कहां जाती है यात्रा

Bhumika Sahu
29 Jun 2022 6:40 AM GMT
जगन्नाथ रथ यात्रा 2022: 3 शुभ योगों में शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा, कितनी दूर और कहां जाती है यात्रा
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जगन्नाथ रथ यात्रा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उज्जैन. उड़ीसा के पुरी में निकाली जाने वाली इस धार्मिक यात्रा को देखने के लिए लाखों भक्त यहां आते हैं और भगवान जगन्नाथ का रथ खींचकर स्वयं को धन्य समझते हैं। जगन्नाथ का अर्थ है पूरी सृष्टि के स्वामी। ये भगवान श्रीकृष्ण का ही एक नाम है। जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं को चार धामों में से एक है। इस मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारी मान्यताएं और परंपराएं है जिस पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता। इस बार जगन्नाथ रथयात्रा की शुरूआत 1 जुलाई, शुक्रवार से हो रही है। रथयात्रा से जुड़ी हर तैयारी पूरी कर ली गई है। पुरी में भक्तों का जुटने लगे हैं। आगे जानिए जगन्नाथ रथयात्रा से जुड़ी खास बातें…

3 शुभ योगों में आरंभ होगी रथयात्रा
इस बार जगन्नाथ रथयात्रा का आरंभ बहुत ही शुभ योग में हो रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, 1 जुलाई, शुक्रवार को पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा जो कि नक्षत्रों का राजा है। इसके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि नाम के 2 अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं, ये भी पूरे दिन रहेंगे। इतने सारे शुभ योग एक ही दिन होने से इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। पंचांग के अनुसार पुष्य नक्षत्र का आरंभ 30 जून, गुरुवार की रात लगभग 12 बजे से होगा, जो अगले दिन यानी 1 जुलाई, शुक्रवार की रात लगभग 2 बजे तक रहेगा।
कितनी लंबी होती है रथयात्रा?
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा मंदिर परिसर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर (Gundicha Temple) तक जाती है। गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर कहते हैं। जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर की दूरी लगभग 3 किमी है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा गुंडिचा मंदिर आते हैं, जहां उनकी मौसी पादोपीठा (विशेष मिठाई) खिलाकर उनका स्वागत करती हैं। पादोपीठा उस परंपरागत पूजा को भी कहते हैं। यहां भगवान जगन्नाथ 9 दिनों तक विश्राम करते हैं और इसके बाद पुन: मंदिर में लौट आते हैं। जब रथयात्रा पुन: मंदिर की ओर आती है तो इसे बहुड़ा यात्रा कहते हैं।
कैसा है गुंडिचा मंदिर का स्वरूप?
गुंडिचा मंदिर एक खूबसूरत बगीचे के बीच में स्थित है। मंदिर का निर्माण हल्के भूरे रंग के बलुआ पत्थर से किया गया है। यह मंदिर देउला शैली में विशिष्ट कलिंग वास्तुकला का उदाहरण है। मंदिर परिसर चार हिस्सों में विभाजित है। विमान (गर्भगृह) जगमोहन (असेंबली हॉल), नाटा-मंडप (त्योहार हॉल) और भोग-मंडप (प्रसाद का हॉल)। एक छोटे से मार्ग से जुड़ा एक रसोईघर भी है। इसे गॉड्स समर गार्डन रिट्रीट कहा जाता है।


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