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धनत्रयोदशी के दिन स्थायी रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले सामान की खरीदने का महत्व है, इसलिए ज्यादातर घरों में इस दिन बर्तन खरीदे जाते हैं. यूं तो बर्तन स्टील, हिंडालियम कई धातुओं के बने मिल जाते हैं और लोग उन्हें खरीदते भी हैं, किंतु इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना अत्यधिक शुभ व मंगलकारी माना जाता है. जो लोग चांदी के बर्तन नहीं खरीद सकते, वह पीतल और स्टील के बर्तन भी खरीद सकते हैं. वैसे अब मिट्टी के बर्तनों का फैशन भी लौट रहा है. बर्तन चाहे, जिस धातु के खरीदें, उन्हें घर पर लाने के बाद पूजन अवश्य करें. इसके लिए बर्तन पर रोली से स्वास्तिक अथवा ओम का चिह्न बनाकर फिर अक्षत, पुष्प और मिष्ठान अर्पित करें. धनतेरस के मौके पर बर्तन खरीदने के बाद बिना पूजन किए, इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस दिन खरीदारी करने के लिए एक अबूझ मुहूर्त माना जाता है, यानी जब चाहें तब खरीदारी कर सकते हैं.
भोग लगाने से आती है सुख-समृद्धि
धनतेरस के दिन श्री विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ और श्री नारायण का भोग लगाना अनिवार्य है. आज के दिन खीर बनाकर भोग लगाना चाहिए. एक बात और ध्यान रखिए कि जो बर्तन आपने खरीदा हो, उसमें भोग लगाएं और ऐसा करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. गृहस्थों को इसी अवधि के मध्य 'ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः मंत्र का जाप करना चाहिए, जिससे परिवार में दीर्घायु एवं आरोग्यता बनी रहती है. इस दिन आयुर्वेद के ज्ञाता भगवान धनवंतरी जी का प्रादुर्भाव हुआ था. वह समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर निकले थे. इस कलश में संजीवनी रूपी अमृत था. भगवान धनवंतरी श्री हरि विष्णु स्वरूप माने जाते हैं. इस दिन चावल को पीसकर घोल तैयार कर लें और उसमें हल्दी मिलाकर घोल से घर के मुख्य दरवाजे पर ॐ बनाने से घर में लक्ष्मी जी का आगमन बने रहता है.
यम को करें प्रसन्न
धनतेरस के दिन से लगातार पांच दिन तक यम को प्रसन्न करने के लिए दीप जलाए जाते हैं. यम अर्थात मृत्यु के देवता. यम को प्रसन्न करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है. आटे के दीपक में चार बाती जलाएं तो अच्छा है, नहीं तो मिट्टी का दीपक लें और उसमें तेल भर दें, फिर इसमें दो लंबी रुई की बत्तियां प्लस के आकार में रखें, जिससे चार सिरे जलाने के लिए बन जाएंगे.