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ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. पूजा करते समय दिशा का चुनाव भी महत्वपूर्ण माना जाता है. यूं तो शास्त्रों में पूजा के लिए पूर्व दिशा को सबसे शुभ माना गया है. लेकिन कुछ लोग दक्षिण दिशा की ओर भी मुख करके पूजा करते हैं. वास्तु शास्त्र की मानें तो दक्षिण दिशा को यमराज और पितृगणों की दिशा माना जाता है. वहीं भगवान विष्णु के दक्षिणावर्ती शंख का निवास भी इसी दिशा में माना जाता है. कुछ विशेष पूजाएं ही इस दिशा में की जाती है लेकिन, वास्तु के अनुसार नियमित पूजा के लिए दक्षिण दिशा को अशुभ माना जाता है. इसलिए आप इस दिशा में बैठकर गलती से भी नियमित रूप से पूजा न करें.
दक्षिण दिशा में की जाती है पितृ पूजन
वास्तु के अनुसार, दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है. इसलिए पितृ पूजन इसी दिशा में करनी चाहिए. पितरों को दक्षिण दिशा में रखकर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए पूजा की जाती है. वहीं पितरों की तस्वीर का मुख हमेशा दक्षिण दिशा की ओर ही होना चाहिए.
काल सर्प योग
काल सर्प योग से पीड़ित जातक दक्षिण दिशा में राहु-केतु की शांति के लिए पूजा करते हैं. बता दें कि नासिक में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर मंदिर कालसर्प दोष से मुक्ति पाने का सबसे प्रसिद्ध स्थान है. कहा जाता है कि हर साल लाखों जातक यहां कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए आते हैं. वहीं वास्तु के अनुसार, कुछ ग्रहों की शांति के लिए भी दक्षिण दिशा में पूजा की जाती है.
दक्षिण दिशा में पूजा करने से नहीं मिलता कोई लाभ
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. इस दिशा में मुख करके पूजा करने से एकाग्रता भंग हो सकती है और मन अशांत रह सकता है. ऐसा माना जाता है कि दक्षिण दिशा में पूजा करने से ग्रह बाधा डाल सकते हैं और पूजा का फल प्राप्त नहीं होता. दक्षिण दिशा में पूजा करना शुभ है या अशुभ, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह की पूजा कर रहे हैं. नियमित पूजा के लिए पूर्व दिशा सबसे शुभ मानी जाती है.
क्यों नहीं की जाती है दक्षिण दिशा में पूजा
वास्तु में दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना गया है. इसलिए गलती से भी इस दिशा में मंदिर नहीं बनवाना चाहिए और न ही इस दिशा में मुख करके पूजा करनी चाहिए. लेकिन आपको बता दें कि दक्षिण दिशा में हनुमान जी की कोई तस्वीर या मूर्ति स्थापित करना शुभ माना जाता है
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Tara Tandi
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