धर्म-अध्यात्म

श्राद्ध तर्पण आदि की महत्ता और इनको करने के तरीकों की जानकारी

Tara Tandi
8 Sep 2021 9:11 AM GMT
श्राद्ध तर्पण आदि की महत्ता और इनको करने के तरीकों की जानकारी
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हर साल पितृ पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध किया जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हर साल पितृ पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध किया जाता है. मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर धरती पर आते हैं. इस दौरान उनके परिवार के लोगों द्वारा श्राद्ध किए जाने से वे तृप्त होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं. गरुड़ पुराण में भी पितरों के श्राद्ध को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है और इसके कुछ नियम बताए गए हैं, ताकि श्राद्ध करना सार्थक हो सके.

गरुड़ पुराण के अनुसार नियम और विधि​ विधान के साथ श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं. ऐसे में श्राद्ध करने वाले के सारे मनोरथ सिद्ध होते हैं और घर-परिवार, व्यवसाय व आजीविका में आ रहीं रुकावटें दूर होती हैं और परिवार के सदस्य खूब तरक्की करते हैं. वंश वृद्धि में आ रही रुकावटें भी दूर हो जाती हैं. जानिए गरुड़ पुराण के अनुसार श्राद्ध करने के कुछ खास नियम.

समय का ध्यान रखना जरूरी

श्राद्ध करने के लिए सूर्योदय से लेकर दिन के 12 बजकर 24 मिनट तक का समय सबसे श्रेष्ठ माना गया है. इसलिए कोशिश करें कि सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके श्राद्ध के लिए ब्राह्मण से तर्पण करा लें. इसके बाद देव स्थान और पितृ स्थान को गाय के गोबर से लीपें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें. घर की महिलाएं शुद्धता के साथ भोजन समय से तैयार करें.

ये होते हैं श्राद्ध के अधिकारी

श्राद्ध के अधिकारी श्रेष्ठ ब्राह्मण या कुल के मान्य जैसे दामाद, भतीजे आदि हो सकते हैं. एक दिन पहले ही उन्हें निमंत्रण दे दें. घर आने पर पहले उनके पैर धोएं. पैर धोते समय पत्नी अपने पति की दायीं ओर रहे. इसके बाद ब्राह्मण से पितरों की पूजा और तर्पण आदि करवाएं. फिर पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी एवं खीर का अर्पण करें.

5 जगह भोजन निकालें

ब्राह्मण या जिसे भी श्राद्ध का भोजन कराने जा रहे हैं, उससे पहले 5 जगह एक पत्ते पर भोजन निकालें. पहला हिस्सा गाय का, दूसरा कुत्ते, तीसरा कौए, चौथा देवता और पांचवां चींटी के लिए निकालें. इसके बाद दक्षिणाभिमुख होकर कुश, तिल और जल लेकर संकल्प करें और एक या तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं. खुद ही भोजन परोसें और ब्राह्मण के भोजन करने के बाद उसकी थाली उठाएं.

भोजन के दौरान मौन रहें

श्राद्ध का भोजन प्रसन्न मन से कराएं. इस दौरान एक दम मौन रहें और ब्राह्मण से ज्यादा बातचीत न करें. पूजन के बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और यथा सामर्थ्य दक्षिणा दें. इसके बाद पूरे आदर और सम्मान के साथ उन्हें वहां से विदा करें.

इस बात का रहे ध्यान

श्राद्ध के समय सफेद पुष्पों का ही प्रयोग करें. बिल्वपत्र, मालती, चंपा, नागकेशर, कनेर, कचनार एवं लाल रंग के पुष्प का इस्तेमाल इस दौरान वर्जित बताया गया है. इसके अलावा पूजन सामग्री के रूप में दूध, गंगाजल, मधु, वस्त्र, कुश, तिल का प्रयोग जरूर करें और अभिजित मुहूर्त का ध्यान रखें.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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