धर्म-अध्यात्म

Indira Ekadashi 2021: अश्विन मास में किस दिन है इंदिरा एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा

Tulsi Rao
19 Sep 2021 4:34 PM GMT
Indira Ekadashi 2021: अश्विन मास में किस दिन है इंदिरा एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा
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अश्विन मास (Ashwin Month) के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) के नाम से जानते हैं. ये एकादशी पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान पड़ती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Indira Ekadashi Vrat Katha: अश्विन मास (Ashwin Month) के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) के नाम से जानते हैं. ये एकादशी पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान पड़ती है. इस साल इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर (Indira Ekadashi On 2nd October) को पड़ेगी. धार्मिक दृष्टि से अश्विन महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. कहते हैं कि इस दिन व्रत कथा सुनना पुण्यकारी होता है. इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, इंदिरा एकादशी के दिन व्रत कथा सुनना जरूरी होता है वरना व्रत अधूरा रह जाता है.

इंदिरा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 01 अक्टूबर 2021 को 11:03 पीएम
एकादशी तिथि समाप्त- 02 अक्टूबर 2021 को 11:10 पीएम
इंदिरा एकादशी पारण का समय- 03 अक्टूबर 2021 को 06:15 एएम से 08:37 एएम तक
इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat katha)
पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में महिष्मति नाम का एक नगर था. इस नगर का राजा इंद्रसेन था, जो कि बहुत ही प्रतापी था. राजा अपनी प्रजा का पालन-पोषण अपनी संतान की तरह ही करता था. इंद्रसेन के राज में किसी को भी किसी तरह की कोई कमी नहीं थी. राजा इंद्रसेन भगवान विष्णु का बहुत बड़ा उपासक था. एक दिन अचानक राजा इंद्रसेन की सभा में नारद मुनि का आगमन हुआ. नारद वहां राजा के पिता का संदेश लेकर पहुंचे थे. राजा के पिता ने इंद्रसेन को संदेश भेजा कि पिछली जन्म में किसी भूल के कारण वह यमकोल में ही हैं. उन्हें यमलोक से मुक्ति के लिए उनके पुत्र को इंदिरा एकादशी का व्रत रखना होगा. ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके.
पिता का ये संदेश सुनकर राजा इंद्रसेन ने नाराद जी से इंदिरा एकादशी के बारे में बताने को कहा. तब नारद जी ने कहा कि यह एकादशी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है. एकादशी से पूर्व दशमी के दिन पितरों का श्राद्ध करने के बाद एकादशी का व्रत का संकल्प लें. द्वादशी के दिन स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद ही व्रत खोलें. इस तरह से व्रत रखने पर तुम्हारे पिता को मोक्ष की प्राप्ति होगी और उन्हें भगवान श्री हरि के चरणों में जगह मिलेगी. नाराद मुनि के बताए अनुसार राजा इंद्रसेन ने इंदिरा एकादशी का व्रत रखा. जिसके पुण्य से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वे बैकुंठ चले गए. इंदिरा एकादशी के पुण्य के प्रभाव से राजा इंद्रसेव को भी मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति हुई


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