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पौराणिक तौर पर समझें तो पार्वती माता ने अपने पुत्र गणेश भगवान को
आपने अपने पूर्वजों से अवश्य ही सुना होगा कि लक्ष्मी-गणेश की एक साथ पूजा करना बहुत शुभ होता है। किसी विशेष देवता की पूजा से संबंधित यह प्रथाएं शास्त्रों में वर्णित किसी कथा के आधार पर बनती हैं, जिसके पीछे कोई ना कोई विज्ञान होता है।
लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा की चर्चा हो रही है तो यदि आप गौर करें तो पाएंगे कि गणेश जी बुद्धि-विवेक के देवता हैं और धन-वैभव की देवी लक्ष्मी जी चंचला हैं जो आसानी से कहीं ठहरती नहीं हैं। अपने अंदर की चंचलता को हम अपनी बुद्धि-विवेक से बेहतर तरीके से संचालित कर सकते हैं, इसीलिए बुद्धि का धन-वैभव के साथ रहना बहुत जरूरी है। यह इस बात को भी दर्शाता है कि जहां गणेश जी की पूजा होगी, वहां लक्ष्मी जी भी वास करेंगी।
पौराणिक तौर पर समझें तो पार्वती माता ने अपने पुत्र गणेश भगवान को, मां लक्ष्मी को दत्तक पुत्र के रूप में सौंप दिया था और तभी से माँ-बेटे लक्ष्मी गणेश की पूजा एक साथ होती है। तो आइये, शास्त्र-सम्मत और वास्तु के आधार पर ये जान लें कि अपने घर में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को रखने का सही तरीका क्या है।
लक्ष्मी-गणेश जी का मुंह किधर होना चाहिए?
यह बहुत ज़रूरी है कि आप पूजा कमरे में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति का मुंह शास्त्र-सम्मत तरीके से सही दिशा में लगायें, इससे आपके घर में खुशहाली और वैभव की वृद्धि होगी। वास्तुशास्त्र के अनुसार, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति का मुंह उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भोले बाबा जो भगवान गणेश के पिता हैं, उनका स्थान उत्तर दिशा में होता है, वैसे आप इन्हें उत्तर-पूर्व दिशा में भी रख सकती हैं।
लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति किस दिशा में रखें
गणेश-लक्ष्मी मूर्ति कैसे रखें?
चूँकि हिंदू धर्म में पूजा करने की पद्धतियां तर्कपूर्ण विज्ञान पर आधारित हैं, इसलिए घर में देवी-देवताओं की मूर्तियों को रखने के नियम भी बहुत अर्थपूर्ण तर्कों पर आधारित हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि लक्ष्मी जी का स्वरूप स्त्री का है और स्त्रियां पूजा-पाठ जैसे शुभ कार्यों में बायीं तरफ बैठती हैं, परंतु आप यह जान लीजिए कि ऐसा हर स्त्री के लिए नहीं होता बल्कि शुभ कार्यों में सिर्फ पत्नी को ही पति के वामाङ्ग यानी बायीं तरफ बैठाया जाता है।
लक्ष्मी माँ और गणेश जी में माँ-बेटे का रिश्ता है, इसलिए आप लक्ष्मी माता की मूर्ति को गणेश जी की मूर्ति के दायीं ओर रखें। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति कहीं से भी टूटी-फूटी या हल्की सी भी खंडित ना हो क्योंकि किसी भी देवी-देवता की खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है।
आप ये बात समझ लें कि मूर्तियों को गलत तरीके से रखने पर भगवान किसी को खुद गलत परिणाम या सज़ा नहीं देते क्योंकि प्रभु तो दयालु हैं, वो हमेशा दया और क्षमा ही करते हैं परंतु हर क्रिया पर स्वाभाविक प्रतिक्रिया का जो इस प्रकृति का नियम है वो हमेशा ही सक्रीय रहता है, जिसके कारण गलत जगह मूर्ति रखने से नुकसान झेलना पड़ सकता है।
क्या देवी लक्ष्मी का मुँह दक्षिण दिशा में हो सकता है?
माँ लक्ष्मी की मूर्ति लगाते समय एक विशेष बात का आप और ध्यान रखें कि उनकी मूर्ति कमल के आसन पर बैठी हुई अवस्था में हो। पुराणों के अनुसार इसका विज्ञान यह है कि लक्ष्मी माता का स्वरुप चंचल माना गया हैं इसलिए खड़ी अवस्था में माता उस स्थान पर टिकती नहीं हैं, अतः ऐसे घरों में धन और वैभव आता तो है पर टिकता नहीं है, खर्चे बढ़े हुए रहते हैं।
यह भी ध्यान रखें कि जिस तरह से सही तरीके से देवी मां की मूर्ति को रखने से अधिक लाभ होता है, उसी प्रकार गलत तरीके से लक्ष्मी माता की मूर्ति को रखने पर नुकसान झेलना पड़ता है एवं दरिद्रता आती है। इसलिए, ऊपर बताई गई उत्तर दिशा या उत्तर-पूर्व दिशा के अतिरिक्त किसी और दिशा में मां लक्ष्मी की मूर्ति को ना रखें, खास तौर पर दक्षिण दिशा में तो उन्हें बिल्कुल भी नहीं रखा जाना चाहिए।
भगवान गणेश की कौन सी तरफ की सूंड़ घर के लिए अच्छी होती है?
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान गणेश की सूंड़ के बारे में प्राचीन ग्रंथों में बहुत सारे दिशा-निर्देश हैं। शास्त्रों में वर्णित गणेश जी की सूंड़ से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह है कि उनकी सूंड़ के बायीं ओर चंद्रमा का वास होता है, इसलिए उससे सभी को शीतलता और आनंद प्राप्त होता है।
वहीं दूसरी ओर, गणेश भगवान की सूंड़ का सीधा रहना या दाहिनी तरफ मुड़ा होना गणेश जी के हठी स्वाभाव का द्योतक होता है। गणेश जी के इस स्वरुप की पूजा आसान नहीं मानी जाती और उनकी पूजा विशेष तंत्र विधि से की जाती है। इसलिए आप गणेश भगवान की बायीं तरफ की सूंड़ वाली प्रतिमा अपने पूजा घर में लगाएं, सरल विधि से उनकी पूजा-अर्चना कर के उनको प्रसन्न करें और उनके कृपापूर्ण स्वरूप से अपने घर में सुख एवं समृद्धि लायें।
लक्ष्मी जी के पैर का स्टिकर कहां लगाए?
माँ लक्ष्मी के चरण समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक होते हैं, इसलिए शुभ अवसरों पर लक्ष्मी माता के चरण घर में लगाए जाते हैं। लक्ष्मी मां के चरणों को आप अपने पूजा घर में रख सकते हैं और पूजा घर में रखने के लिए देवी मां के यह चरण धातु के बने हों तो ज्यादा अच्छा रहेगा, जो कि आपको अपने आस-पास की पूजा की दुकानों में आसानी से मिल जाएंगे।
दीपावली जैसे त्योहारों या गृहप्रवेश जैसे शुभ अवसरों पर लक्ष्मी जी के चरणों का स्टिकर घर के मुख्य दरवाजे के बाहर लगाया जाना शुभ माना जाता है। इन को इस तरह से लगाएं कि ये चरण बाहर से आपके घर के दरवाजे की दिशा में आते हुए प्रतीत हों। यह इस बात का प्रतीक होगा कि लक्ष्मी जी के चरण बाहर से आपके घर के अंदर जाने की दिशा में बढ़ रहे हैं यानी सुख-समृद्धि आपके घर के अंदर प्रवेश कर रही है।
आप अपने पूजा घर में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति सही तरीके से रखिए और उनकी श्रद्धा एवं भक्ति भाव से पूजा करिए, फिर देखिए आप को उनका भरपूर आशीर्वाद मिलेगा, इससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहेगा और घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
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Apurva Srivastav
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