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घर का पीने का पानी यदि उचित दिशा और स्थान पर नहीं रखा है तो घर में रोग के साथ ही धनहानि के योग भी बन सकते हैं। आओ जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की किस दिशा में रखना चाहिए पीने का पानी। साथ ही जानते हैं 11 काम की बातें।
1. घर के रसोईघर में पीने के पानी का बर्तन रखने का स्थान उत्तर, ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व या पूर्व में है। फिल्टर मशीन आदि पूर्व या पूर्व-उत्तर के कोने में रखें।
2. यदि आप भूमिगत टैंक, बोरिंग या हैंडपंप लगाने का सोच रहे हैं तो भी उत्तर दिशा, ईशान दिशा या पूर्व दिशा में ही लगाएं।
3. दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम अथवा दक्षिण-पश्चिम कोण में कुआं अथवा ट्यूबवेल नहीं होना चाहिए।
4. उपर छत पर स्थित पानी की टंकी में पानी चढ़ाने के लिए भेजने वाला पंप भी उपरोक्त बताई गई दिशा में होना चाहिए।
5. ओवर हेड टैंक उत्तर और वायव्य कोण के बीच होना चाहिए। टैंक का ऊपरी भाग गोल होना चाहिए।
6. यदि आपके घर में पहले से ही पुराने समय का कुआं, ट्यूबबेल विपरीत दिशा में है तो उसे भरवा दें या उसका उपयोग न करें।
7. घर के नल से पानी टपकता रहता है तो आर्थिक नुकसान भी होता रहेगा।
8. जिनके घर में जल की निकासी दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में होती है उन्हें आर्थिक समस्याओं से जुझना पड़ता है। उत्तर दिशा एवं पूर्व दिशा में जल की निकासी आर्थिक दृष्टि से शुभ मानी गई है।
9. घर में स्नानघर भी उचित दिशा में होना चाहिए। यह पूर्व में है तो शुभ माना जाता है।
10. वॉशरूम को गीला रखना आर्थिक स्थिति के लिए बेहतर नहीं होता है। प्रयोग करने के बाद उसे कपड़े से सुखाने का प्रयास करना चाहिए।
11. पीने के पानी को पीतल, तांबे या मिट्टी के घढ़े में ही भरकर रखना चाहिए। लोहे, स्टील, प्लास्टिक आदि में नुकसानदायक है।
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Apurva Srivastav
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