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धर्म-अध्यात्म
विपत्ति के समय में ऐसे लोग आते हैं काम, ऐसे लोग होते हैं जीवन में सफल
Tulsi Rao
26 Jan 2022 10:56 AM GMT

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अनेक लोग चाणक्य की नीतियों का अनुसरण और अक्षरशः पालन करते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चाणक्य अर्थशास्त्र का ज्ञाता होने के साथ-साथ नीति शास्त्री के रूप में भी विख्यत हैं. नीतिशास्त्र में आचार्य चाणक्य ने मनुष्य जीवन की हर एक पहलुओं के बारे में विस्तार से समझाया है. इन्हीं कारणों के चाणक्य की नीति घोर कलियुग में भी प्रासंगिक मानी जाती है. अनेक लोग चाणक्य की नीतियों का अनुसरण और अक्षरशः पालन करते हैं.
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कुछ महत्वपूर्ण बातों का जिक्र किया है. जिसे ध्यान में रखकर कोई भी इंसान जीवन की विपरीत परिस्थितियों को भी हंसकर सामना कर सकता है. ऐसे ही चाणक्य ने ऐसे व्यक्तियों के बारे में बताया है, जिनका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए.
क्या है चाणक्य नीति का श्लोक
प्रलये भिन्नमर्यादा भवन्ति किल सागर:।
सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलय शपि न साधव:।।
चाणक्य, नीति शास्त्र के इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि प्रलय काल में समुद्र भी मर्यादा का त्यागकर लहरों से किनारों को छिन्न-भिन्न कर देता है. जबकि सज्जन व्यक्ति प्रलय की तरह भयानक विपत्ति आने पर भी अपनी मर्यादाओं का उलंघन नहीं करता है. साथ ही कभी धैर्य नहीं खोता है और पूरी गंभीरता से कोई भी काम करता है. ऐसे व्यक्ति मुश्किल घड़ी में भी संयम रखते हैं और कामयाबी हासिल करते हैं.
धैर्य और संयम
आचार्य चाणक्य के मुताबिक इंसान को हमेशा धैर्य और संयम के साथ काम करना चाहिए. वर्तमान समय में इन दोनों शब्दों की सार्थकता खत्म होती जा रही है. आज का व्यक्ति लक्ष्य की राह में आने वाली मुश्किलों को पार करने से पहले ही दम तोड़ देता है, या फिर व्यक्ति के पास धैर्य और संयम रखने की इतनी ताकत नहीं होती है. जिस कारण वह सफलता पाने के लिए हर मर्यादा को लांघ जाता है. इसलिए चाणक्य ने श्लोक में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति आपके आसपास है और वह धैर्य और संयम से काम लेता है. तो उसका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. क्योंकि ऐसा व्यक्ति ही आने वाले वक्त में आपको सफलता का सही अर्थ समझा सकता है.
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