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भारतीय धर्मों में अध्यात्म का एक प्रतीक ओम या ओम् को माना जाता है। यह परम वास्तविकता, चेतना या आत्मान के सार को दर्शाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | भारतीय धर्मों में अध्यात्म का एक प्रतीक ओम या ओम् को माना जाता है। यह परम वास्तविकता, चेतना या आत्मान के सार को दर्शाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भी किसी हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में आध्यात्मिक पाठ किया जाता है तब उससे पहले ओम का जाप अवश्य किया जाता है। ॐ का जाप अगर निरंतर किया जाए तो इससे व्यक्ति का दिमांग शांत रहता है। इससे व्यक्ति के आंतरिक और बाह्य विकारों का भी निदान होता है। तो आइए जानते हैं कि किस तरह करें ॐ का जाप।
इस तरह करें ॐ का जाप:
1. इसका जाप करने के लिए आपको एक शांत जगह की जरुरत होगी।
2. इसके लिए सुबह के समय जल्दी उठना चाहिए। अगर आप सुबह जल्दी न उठ पाएं तो रात को सो ने से पहले भी इस पवित्र मंत्र का जाप कर सकते हैं।
3. इस मंत्र के जाप के लिए केवल शांत जगह की जरुरत है। इसके लिए पूजा घर या धूप-दीप की जरुरत नहीं होती है।
4. साफ जगह पर जमीन पर आसन बिछाएं और उस पर बैठ जाएं। किसी पलंग या सोफे पर बैठकर जाप न करें।
5. इस मंत्र का उच्चारण तेज आवाज में करना चाहिए।
6. आसन पर पद्मासन लगाकर बैठें। आंखें बंद करें और पेट से आवाज खींचकर निकालते हुए ॐ का उच्चारण करें।
7. जितना हो सके उतना लंबा ॐ को खींचें। जब सांस भर जाए तो यही प्रक्रिया दोबारा दोहराएं।
8. जब इसका उच्चारण हो जाए तो 2 मिनट तक ध्यान लगाकर ही बैठें।
9. अगर इस मंत्र का नियमित रूप से जाप किया जाए तो शरीर तनाव से मुक्त हो जाता है।
10. जाप के दौरान शोर नहीं होना चाहिए। इसलिए शांत जगह का ही चुनाव करें।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
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