धर्म-अध्यात्म

इस इकलौते मंदिर में होती है द्रविड़ पद्धति से पूजा

Manish Sahu
17 Sep 2023 4:21 PM GMT
इस इकलौते मंदिर में होती है द्रविड़ पद्धति से पूजा
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धर्म अध्यात्म: बिहार के प्रसिद्ध देव स्थल बाबा हरिहर नाथ की नगरी सोनपुर आने पर आपको ऐसा एहसास होगा कि आप दक्षिण भारत में आ गए है. जी हां! नौलखा मंदिर सोनपुर दक्षिण भारत में होने का एहसास दिलाता है. स्थानीय भाषा में इसे नौलखा मंदिर कहा जाता है. हालांकि यह गजेंद्र मोक्ष धाम है. इस मंदिर की वास्तुकला पूरी तरह से दक्षिण भारतीय मंदिरों के जैसी है. सोनपुर में ऐतिहासिक पवित्र गंगा और गंडक नदी के संगम पर गजेंद्र मोक्ष धाम मंदिर है. कहा जाता है कि इस मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उत्तर और दक्षिण भारत के 108-108 पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार किया था.
यह मंदिर पवित्र गंगा और गंडक नदी के किनारे बना हुआ है. इसका परिसर काफी बड़ा है. यहां दूर-दूर से आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए ठहरने की भी व्यवस्था की गई है. यह गजेंद्र मुक्त व गजेंद्र मोक्ष देवास्थान के नाम से भी प्रसिद्ध है. बताया जाता है कि परम पिता परमात्मा श्रीहरि ने गजेंद्र को यहां ग्राह के चंगुल से मुक्त कराया था. इसलिए इस स्थान का नाम गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम पड़ा.
इस पूरे क्षेत्र को हरिहर क्षेत्र कहा जाता है. यहां की मान्यता है कि यहां पर सभी जगह से हार थक के आने वाले व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है. चाहे वह कर्ज से मुक्ति हो या रोग से मुक्ति. ऐसी मान्यता है गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का नियमित पाठ करने से कर्ज की समस्या से निजात मिलती है. वहीं, गजेंद्र मोक्ष का चित्र घर में लगाने से आने वाली बाधा दूर होती है. इस स्तोत्र का सूर्योदय से पहल स्नान करने के बाद प्रतिदिन पाठ करना चाहिए.
पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने बताया की मंदिर का निर्माण 31 जनवरी 1999 को हुआ. इस मंदिर के उद्घाटन में पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाओं से महान विद्वान बुलाए गए थे. यह मंदिर गजेंद्र मोक्षधाम देव स्थानम के नाम से प्रसिद्ध है. क्षेत्र में स्थानीय लोग इसे नौलखा मंदिर भी कहते हैं. इस मंदिर में द्रविड़ पद्धति से पूजा-पाठ होता है. मनोकामना पूरी होने पर दूर-दूर से लोग पूजा करने आते हैं. साथ ही इस मंदिर को देखने भी आते हैं.
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