धर्म-अध्यात्म

इस शुभ मुहूर्त में करें धनतेरस के दिन खरीदारी और पूजा- अर्चना और आरती

Bhumika Sahu
30 Oct 2021 6:01 AM GMT
इस शुभ मुहूर्त में करें धनतेरस के दिन खरीदारी और पूजा- अर्चना और आरती
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कुबेर और भगवान धन्वंतरी की आराधना के उपरांत शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी वर्ष भर के लिए शुभ फलदाई सिद्ध होती है।आइए जानते हैं धनतेरस में खरीदारी का शुभ मुहूर्त और आरती...

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिवाली के पावन पर्व की शुरुआत धनतेरस से ही होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 2 नवंबर 2021, दिन मंगलवार को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन समुद्र मंथन के दौरान देवताओं के चिकित्सक भगवान धन्वंतरि, अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर जी और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। धनतेरस के दिन खरीदारी करने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन खरीदारी करना शुभ रहता है। वेदाचार्य के अनुसार इस वर्ष धनतेरस पर त्रिपुष्कर का अति शुभ योग बन रहा है। कुबेर और भगवान धन्वंतरी की आराधना के उपरांत शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी वर्ष भर के लिए शुभ फलदाई सिद्ध होती है।आइए जानते हैं धनतेरस में खरीदारी का शुभ मुहूर्त और आरती...

धनतेरस तिथि और शुभ मुहूर्त-
धनतेरस तिथि- 2 नवंबर 2021, मंगलवार
प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक।
वृषभ काल- शाम 06 बजकर 18 मिनट से शाम 08 बजकर 14 मिनट तक।
धनतेरस पूजन मुहूर्त- शाम 06 बजकर 18 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक।
खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11.11 बजे से 11.56 बजे तक
अमृत मुहूर्त: दोपहर 11.33 बजे से 12.56 बजे तक
शुभ योग: दोपहर 2.20 बजे से 3.43 बजे तक
वृष लग्न: शाम 6.18 बजे से रात 8.14 बजे तक
भगवान धन्वंतरि की आरती
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।


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