धर्म-अध्यात्म

नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गाजी के नौ स्वरूपों को लगाएं उनका प्रिय भोग, पूरी होगी मनोकामना

Shiddhant Shriwas
8 Oct 2021 2:14 AM GMT
नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गाजी के नौ स्वरूपों को लगाएं उनका प्रिय भोग, पूरी होगी मनोकामना
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नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के उपवास का बहुत महत्व है। नवरात्र के नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियम होते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शारदीय नवरात्रि व्रत 7 अक्टूबर से शुरू हो गए हैं, जिनका समापन 14 अक्टूबर को होगा। दुर्गाजी की भक्ति के ये नौ दिन रजस, तमस और सत्व इन तीन गुणों के बीच संतुलन स्थापित कर जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने का अवसर है। नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के उपवास का बहुत महत्व है। नवरात्र के नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियम होते हैं साथ ही इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को अन्य भोग अर्पित करने के अलावा उनका प्रिय भोग लगाकर मां का आशीर्वाद पाया जा सकता है।

मां शैलपुत्री-

कलश स्थापना के साथ ही प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है और माना जाता है कि माता शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं, इसीलिए इनको सफेद रंग बेहद प्रिय है। इस दिन मां को गाय के घी का भोग लगाना शुभ माना गया है।मान्यता है कि ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और देवी माँ अपने भक्तों को हर संकट से मुक्ति देती है।

माँ ब्रह्मचारिणी-

दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी का दिन है और माता ब्रह्मचारिणी के पूजन-अर्चन से आपके व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ने लगता है।इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को अन्य भोग के अलावा शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि यह भोग लगाने से माँ दीर्घायु होने का वरदान देती हैं इसके साथ ही इस प्रसाद को घर के सभी सदस्यों को अवश्य ही दें। वास्तु शास्त्र के अनुसार माता के प्रसाद को ग्रहण करने से इंसान लंबी उम्र को प्राप्त करता है।

माँ चंद्रघंटा-

तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और कहा जाता है कि माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से मानव सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाते हैं। वही माता के भोग की बात करें तो मां को दूध से बनी मिठाइयां, खीर आदि का भोग लगाएं, जिससे माता चंद्रघंटा अधिक प्रसन्न होती हैं।मान्यता है कि ऐसा करने से धन-वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

मां कूष्मांडा-

नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है और माता को मालपुए का भोग लगाया जाता है। आप माता को लगाए भोग को ब्राह्मणों को दान करते हैं तो आपको अधिक फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही इस भोग को घर के सभी सदस्यों को भी अवश्य ही ग्रहण करना चाहिए।ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और मनोबल भी बढ़ता है।

माँ स्कंदमाता-

पांचवें दिन दुर्गाजी के पंचम स्वरुप माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है और माता को केले का भोग चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि माता को केले का भोग लगाने से सभी शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है,बच्चों का करियर अच्छा रहता है।

माँ कात्यायनी -

नवरात्रि के छठें दिन देवी के षष्टम रूप माता कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है और माता कात्यायनी को भोग के रूप में लौकी,मीठे पान और शहद चढ़ाया जाता है।ऐसा करने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि के योग बनते हैं और घर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

माँ कालरात्रि -

नवरात्र के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है और माता कालरात्रि शत्रुओं का नाश करने वाली होती हैं। इस दिन देवी कालरात्रि को गुड से निर्मित भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन यह भोग लगाने से माँ रोग व शोक से मुक्ति देती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

माँ महागौरी-

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा अर्चना का विधान है।महागौरी की पूजा करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, घर में सुख-समृद्धि आने लगती है। माता महागौरी को नारियल का भोग बेहद प्रिय है, इसीलिए नवरात्रि के आठवें दिन आप भोग के रूप में नारियल चढ़ाएं तो आपको मनोवांछित फल प्राप्त होगा और घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

माँ सिद्धिदात्री-

नवरात्रि का नौवां दिन माता सिद्धिदात्री का है। देवी सिद्धिदात्री को घर में बने हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगा कर कन्या पूजन करना चाहिए।मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

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