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भगवान श्री कृष्ण के प्रिय मास में रखें इन बातों का ध्यान माता लक्ष्मी होंगी प्रसन्न
हिन्दू धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस मास में धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा इत्यादि मुख्य पर्व मानए जाते हैं। बता दें कि यह मास भगवान श्री कृष्ण का प्रिय महीना। मान्यता है कि इस महीने में पूजा-पाठ, अनुष्ठान, पवित्र स्नान आदि करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2022 में यह पवित्र महीना 10 अक्टूबर (Kartik Month 2022 Start Date) से शुरू हो रहा है। इस पवित्र कार्तिक मास का महत्व स्कंद पुराण में भीबताया गया है।
'न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगं, न वेदं सदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समं', इस श्लोक का अर्थ है कि कार्तिक के समान कोई महीना नहीं, युगों में सतयुग के समान कुछ नहीं। शास्त्रों में वेदों के समान कुछ नहीं और तीर्थ में गंगा के समान अन्य कुछ भी नहीं है। इसी तरह शास्त्रों में कार्तिक मास के कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना हिंदू धर्म में अनिवार्य माना जाता है।
पवित्र कार्तिक मास में क्या नहीं करना चाहिए (Kartik Month 2022 Don'ts)
ज्योतिष विद्वानों के अनुसार कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और अपनी इंद्रियों पर संयम रखना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर व्यक्ति को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
कार्तिक महीना चतुर्मास का अंतिम और चौथा महीना है। इसलिए इस महीने में जमीन पर सोना सबसे फलदाई होता है। इसके साथ सात्विक भोजन का पालन करें और किसी गलत विचार को अपने ऊपर हावी ना होने दें।
इस पवित्र मास में तामसिक भोजन बिल्कुल ग्रहण ना करें। इसके साथ प्याज, लहसन और मांसाहार का सेवन भी इस महीने में वर्जित है। मान्यता है कि ऐसा न करने से माता लक्ष्मी अपने भक्तों से रूठ जाती है और ऐसे घर में उनका वास नहीं होता है।
कार्तिक मास में क्या करना चाहिए (Kartik Month 2022 Do's)
संपूर्ण कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को बहुत फायदा मिलता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं। अगर ऐसा ना कर पाएं तो नहाते समय पानी में गंगाजल जरूर डाल लें।
संध्या काल में भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से धन-समृद्धि में वृद्धि होती है और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
कार्तिक मास में भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भी भक्तों को बहुत लाभ होता है। इसके साथ नितदिन गीता का पाठ करें।
इस मास में दान देना भी व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। निस्वार्थ भाव से किसी जरूरतमंद या असहाय को अन्न, धन, कंबल इत्यादि का दान जरूर करें।