धर्म-अध्यात्म

सावन में मंगल, बुध, गुरु, शनि अपनी राशि में, राहु केतु और चंद्र दोष के लिए करें उपाय

Subhi
14 July 2022 3:51 AM GMT
सावन में मंगल, बुध, गुरु, शनि अपनी राशि में, राहु केतु और चंद्र दोष के लिए करें उपाय
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श्रावण मास के आरंभ में ग्रहों का बहुत ही सुंदर संयोग प्राप्त हो रहा है। सावन के महीने में जहां कुंडली में कालर्सपदोष आदि के उपाय किए जाते हैं, वहीं कुंडली में ग्रहों के दोषों को शांत करने के भी उपाय किए जाते हैं।

श्रावण मास के आरंभ में ग्रहों का बहुत ही सुंदर संयोग प्राप्त हो रहा है। सावन के महीने में जहां कुंडली में कालर्सपदोष आदि के उपाय किए जाते हैं, वहीं कुंडली में ग्रहों के दोषों को शांत करने के भी उपाय किए जाते हैं। इससे पहले हमें सावन में ग्रहों की स्थिति के बारे में जान लेना चाहिए। जहां भूमि ,भवन ,वाहन,पराक्रम का कारक ग्रह मंगल अपनी राशि अपनी राशि मेष में । बुध अपने राशि मिथुन में। गुरु अपने राशि मीन में । शुक्र बुध की राशि मिथुन में। शनिदेव अपने राशि मकर में वक्र गति से गोचर करेंगे । इस प्रकार माह के आरंभ में मंगल, बुध, गुरु, शनि अपनी अपनी राशि में रहेंगे एवं बुध शुक्र का कलानिधि योग भी बनेगा अतः यह माह पूजन अर्चन यज्ञ हवन के लिए अत्यंत शुभ फल प्रदान होगा ।

जन्म कुंडली में विद्यमान ग्रहीय दोषों को दूर करने के लिए भी श्रावण मास अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। राहु केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए इस माह में विशेष अनुष्ठान यज्ञ किए जाते हैं । पूरे माह भर जलाभिषेक करने , बेल पत्र, धतूरा, भांग चढ़ाने से विशेष प्रकार के लाभ प्राप्ति के साथ साथ जन्म कुण्डली में विद्यमान अशुभ ग्रहीय फलों का निवारण हो भी हो जाता है। पूरे माह में जलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक करने से चंद्रमा जनित दोष कम हो जाते है। पूरे श्रावण मास जलाभिषेक के साथ में तिल चढ़ाने से राहु एवं शनि जन्य दोष कम हो जाते है। इसलिए इस दौरान लोग घरों में रूद्राभिषेक का आयोजन भी कराते हैं। सावन के महीने में कांवड़ लाने का भी बहुत महत्व है। लोग जल लाकर भोलेनाथ को अर्पित करते हैं। झारखंड के देवघर में बाबा वैद्यनाथ मंदिर में बहुत बड़ा मेला लगता है। जहां सावन के महीने भर कांवडिए जलाभिषेक करते हैं।


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