धर्म-अध्यात्म

गरुड़ पुराण में मृत व्यक्ति को पुन: जीवित करने के लिए संजीवनी विद्या का बताई गई हैं, जाने बाते

Bhumika Sahu
14 Aug 2021 6:05 AM GMT
गरुड़ पुराण में मृत व्यक्ति को पुन: जीवित करने के लिए संजीवनी विद्या का बताई गई हैं, जाने बाते
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गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद के रहस्यों को उजागर करने के अलावा जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी कई नीति और नियम बताए गए हैं. गरुड़ पुराण में मृत व्यक्ति को पुन: जीवित करने के लिए संजीवनी विद्या का भी वर्णन किया गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण जीवन और मृत्यु और मृत्यु के बाद की ​तमाम स्थितियों से रहस्य का पर्दा हटाता है. गरुड़ पुराण में स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा ज्ञान, सदाचार, यज्ञ, तप, नीति, नियम और धर्म की बातों का भी जिक्र किया गया है. इस महापुराण में संजीवनी विद्या का भी वर्णन किया गया है.

इस विद्या के प्रयोग से मृत व्यक्ति को भी दोबारा जीवित किया जा सकता है. माना जाता है कि दैत्य गुरू शुक्राचार्य के पास संजीवनी विद्या थी. इसका प्रयोग करके उन्होंने तमाम दैत्यों को पुनर्जीवन दिया था. गरुड़ पुराण में भी ऐसे मंत्र का जिक्र किया गया है जिससे मरे हुए व्यक्ति को फिर से जिंदा किया जा सकता है.
ये है संजीवनी मंत्र
'यक्षि ओम उं स्वाहा' इस मंत्र को गरुड़ पुराण में संजीवनी मंत्र बताया गया है. लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले इसे सिद्ध करना बहुत जरूरी है. सिद्ध करने की प्रक्रिया काफी कठिन होती है. मान्यता है कि यदि मंत्र सिद्ध हो जाए तो किसी मृत व्यक्ति के कान में चुपचाप इस मंत्र को बोलने से वो व्यक्ति फिर से जीवित हो सकता है. इसके लिए दशांश हवन और ब्राह्मण भोजन कराना जरूरी बताया गया है.
महामृत्युंजय मंत्र भी काफी प्रभावी
इस संजीवनी मंत्र के अलावा महामृत्युंजय मंत्र को भी काफी शक्तिशाली माना गया है. महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख शिवपुराण में है. इसके अलावा ऋगवेद और यजुर्वेद में भी इसकी महिमा का गुणगान किया गया है. कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति मरणासन्‍न है या डॉक्टर ने हाथ टेक दिए हैं तो इस अवस्था में महामृत्युंजय मंत्र को सिद्ध करके इसका जाप कराया जाए तो मृत्यु टल जाती है. ऋषि मार्कंडेय ने महामृत्युंजय मंत्र के बल पर अपने प्राणों को बचाया था और यमराज को खाली हाथ यमलोक भेज दिया था. ये भी मान्यता है कि दैत्यगुरू शुक्राचार्य ने रक्तबीज को महामृत्युंजय सिद्धि प्रदान की ​थी, जिससे युद्धभूमि में उसकी रक्त की बूंद गिरने मात्र से उसकी संपूर्ण देह की उत्पत्ति हो जाती थी.


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