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सऊदी सरकार ने कुछ शर्तों के साथ इस साल विदेश यात्रियों को हज यात्रा की अनुमति दे दी है. बीते दो साल से कोरोना (Corona) के कारण हज यात्रा रोक दी गई थी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सऊदी सरकार ने कुछ शर्तों के साथ इस साल विदेश यात्रियों को हज यात्रा की अनुमति दे दी है. बीते दो साल से कोरोना (Corona) के कारण हज यात्रा रोक दी गई थी. इस साल हज यात्रा के लिए यात्रियों की संख्या में काफी इजाफा देखा जा रहा है. हज यात्रा को मुस्लिम धर्म (Muslim Religion) में विशेष महत्व है. इसे इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक माना गया है. कहा जाता है कि जीवन में हर एक मुसलमान को कम से कम एक बार हज यात्रा पर जाना चाहिए. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हज यात्रा (Hajj Yatra) धुल हिज्जा महीने में की जाती है, ये साल का 12वां महीना माना जाता है. इस साल 7 जुलाई से हज यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. हज यात्रा के दौरान कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है. आइए आपको यहां बताते हैं हज यात्रा से जुड़ी खास बातें.
हज यात्रा का महत्व और रस्में
इस्लाम में हज यात्रा को अल्लाह के करीब जाने का अवसर बताया गया है. कहा जाता है कि इस यात्रा से व्यक्ति के जीवन के पापों का अंत होता है. इस्लाम में कहा गया है कि आप शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो आपको जीवन में कम से कम एक बार तो हज यात्रा जरूर करनी चाहिए. लेकिन अगर आप पर किसी तरह का कर्ज है तो आप हज यात्रा नहीं कर सकते. हज यात्रा के लिए आपको पहले कर्ज चुकाना होगा, कर्ज के पैसों को इस्लाम में हराम माना गया है. इन पैसों से ये यात्रा नहीं की जाती है.
कैसे जाएं हज यात्रा पर
हज यात्रा पर जाने की पहली शर्त है कि उस व्यक्ति का मुस्लिम होना बहुत जरूरी है. यात्रा के लिए मुस्लिमों को आवेदन करना होता है. इसके बाद लकी ड्रॉ के आधार पर उनका चयन किया जाता है. अगर आप लकी लोगों में से हैं और आपका नंबर आ चुका है, तो आपको इस यात्रा के लिए 25 फीसदी फीस के साथ अपने सारे डॉक्यूमेंट्स जमा करने होते हैं. इसके बाद हज कमेटी आगे की प्रक्रिया करती है.
40 दिनों की होती है यात्रा
हज यात्रा सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में की जाती है और सामान्यत: ये 40 दिनों की होती है. इस दौरान कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं. यात्रा के दौरान 10 दिन मदीने में रहना होता है, इसके बाद मक्का पहुंचना होता है. हज यात्रा करने वाले हाजी हज यात्रा के पहले दिन काबा के चक्कर लगाते हैं. इसके बाद सफा और मरवा पहाड़ी के चक्कर लगाते हैं. हज यात्री धुल हिज्जा महीने के सातवें दिन मक्का पहुंचते हैं और एक सफेद रंग का बगैर सिला हुआ कपड़ा, जिसे इहराम कहते हैं, उसे शरीर पर लपेटते हैं. वहीं महिलाएं हिजाब के साथ कोई भी सादा कपड़ा पहन सकती हैं. हज यात्रा के दौरान पुरुष और महिलाओं दोनों के वस्त्र सफेद रंग के होने चाहिए और महिलाओं का तन पूरी तरह से ढका होना चाहिए. हज यात्रा के दौरान जमारात पर पत्थर फेंकने की रस्म भी अदा की जाती है जिसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके साथ ही हाजी अल्लाह से अपने सारे कसूर और गुस्ताखियों को माफ करने की दुआ करते हैं. वहीं जो लोग सीधे तौर पर हज यात्रा के लिए जाते हैं, वे 8,9,10 तारीख को होने वाली मुख्य हज में हिस्सा लेते हैं.
हज नहीं तो उमराह का विकल्प
हज यात्रा में समय काफी लगता है और करीब साढ़े तीन लाख से पांच लाख तक का खर्च आता है. हज यात्रा के मुकाबले उमराह में कम समय लगता है. इसमें रस्में भी कम होती हैं. ऐसे में अगर आप हज नहीं कर पा रहे हैं तो उमराह कर सकते हैं.
Tara Tandi
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