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धर्म-अध्यात्म
मकर संक्रांति पर स्नान और दान का है महत्व.....जाने पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Bhumika Sahu
14 Jan 2022 3:03 AM GMT
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Makar Sankranti 2022 In hindi: मकर संक्रांति को दिन देश के अलग अलग हिस्सों में खास रूप से मनाया जाता है. आइए जानते हैं संक्रांति की पूजा का शुभ मुहुर्त-
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दान पुण्य के त्योहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का सनातन धर्म में खास महत्व है. हिंदू धर्म में इस त्योहार को 14 जनवरी दिन शुक्रवार को धूम धाम से मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में चलते हैं. यही कारण है कि सूर्य की मकर संक्रांति कहा जाता है. खास बात ये भी है कि इसी दिन खरमास (Kharmas) का समापन हो जाता है और शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. तो से में आइए जानते हैं मकर संक्रांति (Makar Sankranti Special) पर गंगा स्नान और दान पुण्य करने के विशेष महत्व के बारे में सभी कुछ.
जानिए क्या है स्नान और दान का महत्व?
सनातम धर्म की मान्या के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही राजा भागीरथ के तप से गंगा प्रभावित होकर उनके पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंच गई थीं और फिर वहां पहुंचकर सोते हुए समुद्र में जाकर वह मिली थीं. इसी दिन राजा भागीरथ ने गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों को प्रप्त किया था. मान्यता है कि यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने का सबसे ज्यादा फलदायी फलदायी माना गया है. कहते हैं कि अगर इस दिन गंगा में स्नान करते हैं तो सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं और सीधा प्रभु के चरणों में शरण मिलती है. अगर आप गंगा में स्नान नहीं कर पाते हैं तो घर पर भी इस दिन स्नान करने का अति महत्व है.
मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति का क्षण या सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर मकर संक्रांति का पुण्य काल: दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 45 मिनट तक मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल: दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से शाम 04 बजकर 28 मिनट तक.
ऐसे करें संक्रांति के दिन पूजा
कहा जाता है कि इस दिन सूर्यदेव की आराधना किया जाना सबसे ज्यादा फलदायी होता है. यही कारण है कि इस दिन सूर्य देव को जल, अक्षत, गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, तांबा, सुपारी, लाल फूल और दक्षिणा आदि से पूज जाता है. सूर्य पूजा के बाद ही इस दिन क्षमता के अनुसार किसी जरुतमंद को दान करना चाहिए. दान पुण्य के समय तक व्रत रखा जाता है, और दान के बाद ही व्रत को खोला जाता है.
इन नामों से प्रचलित है मकर संक्रांति
देश के अलग अलग हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग अलग नाम से मनाया जाता है. दक्षिण भारत में पोंगल, गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण कहा जाता है और कई राज्यों में पतंग उड़ाने का भी इस दिन खास महत्व होता है. हरियाणा और पंजाब में इस त्योहार को माघी और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश इस दिन खिचड़ी कहा जाता है.
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