धर्म-अध्यात्म

जीवन में पाना चाहते हैं सफलता तो आचार्य चाणक्य की ये 4 बातें बांध लें गांठ

Renuka Sahu
8 Oct 2021 12:59 AM GMT
जीवन में पाना चाहते हैं सफलता तो आचार्य चाणक्य की ये 4 बातें बांध लें गांठ
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फाइल फोटो 

हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है, लेकिन हर कोई अपना मुकाम हासिल कर नहीं पाता.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है, लेकिन हर कोई अपना मुकाम हासिल कर नहीं पाता. सफल होने के लिए पूरी तैयारी के साथ सही रणनीति की जरूरत होती है. जीवन में लोग बड़े सपने तो देखते हैं, लेकिन उनके लिए सही योजना नहीं बनाते, इसके कारण उन्हें उनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता.

आचार्य चाणक्य ने सफलता को लेकर कुछ बातें कही हैं. इनका पालन करके व्यक्ति अपनी मंजिल तक आसानी से पहुंच सकता है और रास्ते में आने वाली चुनौतियों का सामना भी डटकर कर सकता है. यहां जानिए सफलता को लेकर क्या कहती है आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति.
धर्म के रास्ते पर चलें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कामयाबी पाने के लिए कभी अधर्म का मार्ग नहीं चुनना चाहिए. ऐसी सफलता जितनी जल्दी मिलती है, उतनी ही जल्दी चली जाती है. अगर आप वाकई सफल होना चाहते हैं तो हमेशा धर्म के रास्ते पर चलकर और उसूलों के साथ मेहनत करें. धर्म का मार्ग थोड़ा मुश्किल जरूर होता है, लेकिन ये आपके यश को दूर दूर तक पहुंचाता है.
अनुशासित होना जरूरी
चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों का जीवन अनुशासित नहीं होता है, उन्हें जीवन में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यदि सफलता प्राप्त करना है तो आपको एक एक मिनट का महत्व समझना पड़ेगा और अपने जीवन को अनुशासित करना पड़ेगा. यदि जीवन में अनुशासन नहीं है, तो सफलता भी ​कभी निश्चित नहीं होगी.
दृढ़ निश्चयी होना जरूरी
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लक्ष्य प्राप्ति की यात्रा में कई बार व्यक्ति को हार का सामना करना पड़ता है, लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए. हार भी आपके सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है. व्यक्ति को जीवन में अपने लक्ष्य के प्रति दृढ निश्वयी होना पड़ेगा, तभी वो रास्ते में ​आने वाली चुनौतियों का सामना डटकर कर पाएगा.
आलस का त्याग कर दें
आलसी व्यक्ति आज के काम को हमेशा कल पर टालने की कोशिश करता है और कल कभी नहीं आता. आलसी व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय को हमेशा व्यर्थ में गंवाता है. अगर आपको सफल होना है तो आलस को अपने से एकदम दूर करना पड़ेगा. आलस व्यक्ति को कभी सफल नहीं होने देता इसलिए आचार्य ने आलस को व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु कहा है.


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