धर्म-अध्यात्म

अगर भद्रा के साए में भाई को बांधी राखी, तो रावण की बहन शूर्पणखा कहलाएंगी आप

Tara Tandi
24 Aug 2023 1:42 PM GMT
अगर भद्रा के साए में भाई को बांधी राखी, तो रावण की बहन शूर्पणखा कहलाएंगी आप
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रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार भाई की मंगलकामना करने के लिए होता है. रावण और सुर्पनखा भी भाई-बहन थे. लेकिन क्या आप जानते हैं रावण का विनाश क्यों हुआ. रावण का बुरा समय कैसे शुरु हुआ. कहते हैं जब अनहोनी होनी होती है तो चारों ओर पहले से ही चक्रव्यूह रचने लगता है. हालांकि हम इसे कई बार देखकर भी अनदेखा कर देते हैं लेकिन ऐसा करना नुकसानदायक होता है. साल 2023 में रक्षा बंधन के त्योहार को लेकर काफी कंफ्यूज़न बना हुआ है. दरअसल में ये तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से ही शुरु हो रही है.
रक्षा बंधन पर कब से कब तक है भद्रा का साया
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है. रक्षाबंधन की तिथि भले ही 30 अगस्त को सुबह से शुरु हो रही है लेकिन इसी के साथ भद्रा काल भी शुरु हो रहा है. सुबह 10 बजकर 58 मिनट से ही भद्रा लग जाएगी और ये रात को 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी. ऐसे में इस समय आप अपने भाई की कलाई पर गलती से भी रक्षा का सूत्र ना बांधें.
भद्रा के साय में क्यों नहीं बांधते राखी?
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भद्रा सूर्यदेव और छाया की कन्या थी. इस नाते से ये शनिदेव की बहन हुई. पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा दिखने में कुरूपा और व्यव्हार में शैतान थी. कई यज्ञों में भी उसके कारण विघ्न पड़ते थे. जिस वजह से उसके माता-पिता को उसके विवाह की चिंता रहती थी. जब भद्रा की उम्र शादी योग्य हुई तो सूर्यदेव ने जहां भी बेटी की शादी का प्रस्ताव भेजा वो खाली हाथ लौटा दिया गया.
ऐसे में वो ब्रह्मा जी से सलाह लेने पहुंचे कि अपनी बेटी के लिए वो ऐसे क्या करें कि उसे जीवन में कभी कोई कष्ट ना हो.
कहते हैं तब ब्रह्मा जी ने भद्रा को वरदान दिया कि तुम अब से बव, बालव, कौलव के अंत में निवास करोगी. इस प्रकार इस इस समय में जो भी गृह प्रवेश या मांगलिक कार्य करेगा बस तुम उसी में विघ्न डालना, या जो भी तुम्हारा आदर ना करे उसके काम बिगाड़ना. लेकिन इसके अलावा किसी को किसी प्रकार का नुकसान ना पहुंचाना.
तब से भद्रा सिर्फ उसी समय कष्ट देती है जब लोग उस समय में कोई मंगल कार्य करते हैं. इसलिए आप गलती से भी इस भद्रा के दौरान अपने भाई की कलाई पर राखी ना बांधें
रावण की बहन शूर्पणखा बनीं विनाश का कारण
पौराणिक कथाओं में पढ़ने को मिलता है कि लंकापति रावण की बहन शूर्पणखा ने जब से भद्रा काल में अपने भाई को राखी बांधी थी तब से उसके बुरे दिन शुरु हो गए थे. माना जाता है कि लंकापति राजा रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा से भद्रा काल के समय ही राखी बंधवाई थी. खुद को सबसे बलशाली समझने वाले रावण ने ब्रह्मा जी की ताकत को अनदेखा किया. उनकी कृपा से भद्रा को जो वरदान मिला था उसी के फलस्वरूप उस साय में शुभ कार्य करना वर्जित था. लेकिन अहंकारी रावण ने ये बात नहीं मानी, भद्राकाल में राखी बंधवाने के कारण ही कहा जाता है कि रावण का सर्वनाश हुआ था.
तो आप अपने भाई की सलामती चाहती हैं और उसकी लंबी उम्र की दुआ करते हुए उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं तो गलती से भी इस साए में रक्षाबंधन का ये त्योहार ना मनाएं. ये सारी जानकारी पौराणिक कथाओं पर आधारित है. न्यूज़ नेशन इसकी पुष्टि नहीं करता.
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