धर्म-अध्यात्म

शनिदेव की पूजा कर रहे हैं तो पढ़ें ये आरती, दूर होंगे शनि के दुष्प्रभाव

Renuka Sahu
29 July 2023 5:09 AM GMT
शनिदेव की पूजा कर रहे हैं तो पढ़ें ये आरती, दूर होंगे शनि के दुष्प्रभाव
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सप्ताह के सातों दिनों में शनिवार का दिन सूर्य पुत्र शनि को समर्पित हैं जो कि कर्मों के दाता माने जाते हैं वे जातक को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सप्ताह के सातों दिनों में शनिवार का दिन सूर्य पुत्र शनि को समर्पित हैं जो कि कर्मों के दाता माने जाते हैं वे जातक को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शुभ कर्म करने वालों को शनि महाराज शुभ फल देते हैं तो वही बुरे काम करने वालों को शनिदेव दंड भी देते हैं ऐसे में हर कोई शनि को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन पूजा पाठ और व्रत आदि करता हैं

ऐसे में अगर आप भी शनि महाराज की कृपा और आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो भगवान की पूजा जरूर करें साथ ही उनकी प्रिय आरती भी पढ़ें क्योंकि बना आरती के किसी भी देवी देवता की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती हैं और ना ही व्रत पूजा का फल मिलता हैं, ऐसे में अगर आप शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा कर रहे हैं तो उनकी आरती का पाठ जरूर करें, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री शनिदेव की आरती।
श्री शनिदेव आरती—
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,
करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,
घोर कष्ट वह पावे ।
धन वैभव और मान-कीर्ति,
सब पलभर में मिट जावे ।
राजा नल को लगी शनि दशा,
राजपाट हर लेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,
सकल सिद्धि वह पावे ।
तुम्हारी कृपा रहे तो,
उसको जग में कौन सतावे ।
ताँबा, तेल और तिल से जो,
करें भक्तजन सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
हर शनिवार तुम्हारी,
जय-जय कार जगत में होवे ।
कलियुग में शनिदेव महात्तम,
दु:ख दरिद्रता धोवे ।
करू आरती भक्ति भाव से,
भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
॥ श्री शनि देव आरती-2 ॥
चार भुजा तहि छाजै,
गदा हस्त प्यारी ।
जय शनिदेव जी ॥
रवि नन्दन गज वन्दन,
यम अग्रज देवा ।
कष्ट न सो नर पाते,
करते तब सेवा ॥
जय शनिदेव जी ॥
तेज अपार तुम्हारा,
स्वामी सहा नहीं जावे ।
तुम से विमुख जगत में,
सुख नहीं पावे ॥
जय शनिदेव जी ॥
नमो नमः रविनन्दन,
सब ग्रह सिरताजा ।
बन्शीधर यश गावे,
रखियो प्रभु लाजा ॥
जय शनिदेव जी ॥
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