धर्म-अध्यात्म

'रुद्राक्ष' अगर आप सावन मास में धारण कर रहे है तो यह है फायदे, जाने इसका महत्त्व

Manish Sahu
15 July 2023 6:10 PM GMT
रुद्राक्ष अगर आप सावन मास में धारण कर रहे है तो यह है फायदे, जाने इसका महत्त्व
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धर्म अध्यात्म: रुद्राक्ष को धारण करने के लिए हमेशा आप लाल धागे का प्रयोग करें, और उसमें रुद्राक्ष नीचे हृदय तक संपर्क में रहना चाहिए। वहीं धारण करने से पूर्व भगवान शिव के चरणों में इसे अर्पित करना ना भूलें। जब भी आप रुद्राक्ष पहनें, तो भगवान शंकर का नाम लें, और उनकी आराधना करते हुए उनके चरणों में अर्पित करके ही रुद्राक्ष पहनें। रुद्राक्ष का सम्बन्ध भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से माना जाता है। हमारे धर्म ग्रंथो में वर्णित है कि भगवान शंकर के अश्रु से रुद्राक्ष बना हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शंकर सदियों से कठोर तपस्या कर रहे थे, और उन्होंने जब तपस्या के बाद अपनी ऑंखें खोलीं, तब उनकी आंखों से आंसू निकला, और उन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई, इसलिए भगवान शंकर के अंश से उत्पन्न रुद्राक्ष को पूज्य और सम्माननीय माना जाता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में रुद्राक्ष की मान्यता के सन्दर्भ में ऐसा माना जाता है कि इसको धारण करने से भगवान शंकर न केवल प्रसन्न होते हैं, बल्कि तमाम तरह के रोग एवं ग्रह दोष दूर करने में भी इसका उतना ही महत्त्व है। सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने की अपनी विशेष महत्ता बतलाई जाती है, किंतु रुद्राक्ष आप यूं ही धारण न कर लीजिए। यह कोई सामान्य वस्तु नहीं है, जो आप बिना सोचे समझे धारण कर लें। इसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जो आपको अवश्य जानना-समझना चाहिए।
रुद्राक्ष को सबसे पहले अपने हृदय पर, गले में और हाथों में धारण करना चाहिए। अगर आप हाथ की कलाई पर रुद्राक्ष पहनते हैं, तो उसमें 12 रुद्राक्ष के दाने होने चाहिए। वहीं अगर गले में पहनते हैं, तो 36 और हृदय पर पहनते हैं, तो 108 रुद्राक्ष के दानों को धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष का अगर सिर्फ एक दाना आप धारण करना चाहते हैं, तो वह हृदय तक पहुंचना चाहिए। ऐसा ध्यान रखें कि रुद्राक्ष को धारण करने के लिए हमेशा आप लाल धागे का प्रयोग करें, और उसमें रुद्राक्ष नीचे हृदय तक संपर्क में रहना चाहिए। वहीं धारण करने से पूर्व भगवान शिव के चरणों में इसे अर्पित करना ना भूलें। जब भी आप रुद्राक्ष पहनें, तो भगवान शंकर का नाम लें, और उनकी आराधना करते हुए उनके चरणों में अर्पित करके ही रुद्राक्ष पहनें।
सबसे अहम् बात यह है कि रुद्राक्ष पहनने वालों को मांस-मदिरा का सेवन करना वर्जित माना गया है। जिसने रुद्राक्ष धारण किया हुआ है, उसके लिए सात्विक भोजन सर्वोत्तम है। रुद्राक्ष धारण करने के लिए जैसा कि बताया गया है कि सावन महीने की शिवरात्रि की तिथि सर्वोत्तम है, और इसमें भी सोमवार या प्रदोष के दिन इसको धारण करें। रुद्राक्ष अपने स्वरूप के आधार पर कई तरह के पाए जाते हैं। इसमें एक मुखी रुद्राक्ष ,दो मुखी रुद्राक्ष, 3 मुखी एवं चार मुखी रुद्राक्ष प्रमुख हैं। इतना ही नहीं, कई बार बहु मुखी रुद्राक्ष भी आपने देखा होगा। सबसे बेहतर यह होगा कि आप ज्योतिष के अनुसार अपने लिए उचित रुद्राक्ष धारण करें।
यहाँ एक बात आप से जरूर कहना चाहेंगे कि रुद्राक्ष के धार्मिक और वास्तु के प्रभाव अपनी जगह हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से भी जब आप किसी दोष को दूर करने के लिए या किसी लाभ को प्राप्त करने के लिए कोई वस्तु धारण करते हैं, तो आपको वह वस्तु बराबर याद दिलाती है, और कहीं ना कहीं मनोवैज्ञानिक रूप से भी आपको फायदा मिलता है।
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