धर्म-अध्यात्म

पूर्ण विधि-विधान से पूजा नहीं कर पाएं तो इस कार्य से मिलेगा पूजा का फल

Shiddhant Shriwas
4 Nov 2021 4:54 AM GMT
पूर्ण विधि-विधान से पूजा नहीं कर पाएं तो इस कार्य से मिलेगा पूजा का फल
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दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश का विधिवत पूजन किया जाना चाहिए। हिंदू धर्म में लक्ष्मी को धन की देवी तो गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है।

दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश का विधिवत पूजन किया जाना चाहिए। हिंदू धर्म में लक्ष्मी को धन की देवी तो गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। दीपावली के दिन इनकी पूजा करने से लोगों को बुद्धि और धन की विशेष प्राप्ति होती है। लेकिन बहुत से लोग कुछ वजहों से कई बार लक्ष्मी गणेश जी का पूरे विधि विधान से पूजन नहीं कर पाते हैं। पंडित विवेक गैरोला के मुताबिक अगर किसी वजह से मां लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा नहीं कर पाते हैं तो सिर्फ अष्टलक्ष्मी यंत्र रखने मात्र से पूजा संपूर्ण मानी जाती है। इससे पूरी पूजा जैसा फल मिलता है।

अष्टलक्ष्मी श्री यन्त्रम‌्
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी ।
विष्णुवक्ष:स्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी।।

शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम ।

अष्टलक्ष्मी को प्रणाम है, जो कि सौंदर्य और सौभाग्य की स्वामिनी हैं, भगवान विष्णु के हृदय में वास करने वालीं, भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाली हैं।
दिवाली पर इस बार कई अद्भुत संयोग मिल रहे हैं। करीब चालीस साल बाद दिवाली पर रविपुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, महामंगल योग प्राप्त हो रहा है । हालांकि गुरुवार को दिवाली पूजन के लिए समय कम मिलेगा। शाम को 6:10 से स्थिर वृषभ लग्न में 8:04 तक पूजा की जा सकेगी।
निवास स्थान पर मुहूर्त
रात्रि कालीन मुहूर्त: शाम 5:31 से 6:43 प्रदोष काल
6:10 से 8:04 वृषभ लग्न योग रात्रि साधना : 12:40 से 2:27 सिंह लग्न
घर में दीपावली का पूजन प्रदोष काल उपरोक्त वर्णित स्थिर लग्न में ही श्रेष्ठ फलदाई होता है।

पंडित से जानें दिवाली लक्ष्मी पूजन की सही विधि
शाम 6:10 से 8:04 तक स्थिर लग्न में करें पूजन
- दिवाली के दिन दोपहर 1:45 से 3 बजे के बीच भी स्थिर लग्न (कुम्भ) रहेगा। इस मुहूर्त पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों और खाताबहियों का पूजन होगा।
- व्यवसाय स्थलों और कार्यालयों पर दोपहर 1:45 से 3 बजे के बीच स्थिर लग्न का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा।

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