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मंगला गौरी का व्रत रख रहे हैं तो ऐसे करें उद्यान, मिलेगा पुण्य फल

Admin2
9 July 2022 3:02 PM GMT
मंगला गौरी का व्रत रख रहे हैं तो ऐसे करें उद्यान, मिलेगा पुण्य फल
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मंगला गौरी का व्रत

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष: हिंदू धर्म में व्रत पूजा पाठ को बेहद ही खास माना जाता है वही मंगला गौरी का व्रत महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है यह व्रत श्रावण मास में पड़ने वाले मंगलवार के दिन किया जाता है मान्यता है कि मंगला गौरी का व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख शांति आती है और समस्याएं समाप्त हो जाती है वही संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी महिलाएं इस व्रत को पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ करती है

इस साल श्रावण मास का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को पड़ रहा है वही अगर आप भी इस व्रत को रखने की सोच रही है तो आपको बता दें कि मंगला गौरी व्रत का उद्यापन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में किया जाता है इस साल सावन में चार मंगलवार पड़ रहे हैं जो कि बेहद ही शुभ संयोग माना जाता है तो आज हम आपको मंगला गौरी व्रत और उसके उद्यापन के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
आपको बता दें कि शादीशुदा महिलाओं के लिए मंगला गौरी का व्रत बेहद ही शुभ होता है इस व्रत में 16 मंगलवार के बाद 17 वें मंगलवार को या 20 मंगलवार के ​बाद 21 वें मंगलवार के दिन उद्यापन किया जा सकता है बिना उद्यापन के मंगला गौरी व्रत निष्फल माना जाता है इस व्रत को जितनी श्रृद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है वह विधिवत पूजा होती है उसी तरह इस व्रत का उद्यापन करना भी बेहद जरूरी माना गया है वरना व्रत का पुण्य फल मनुष्य को प्राप्त नहीं होता है।
जानिए मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि—
आपको बता दें कि सोलह या बीस मंगलवार के व्रत के बाद ही मंगला गौरी व्रत का उद्यापन मंगलवार को किया जाता है। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करके लाल वस्त्र धारण किया जाता है उद्यापन के दिन व्रत किया जाता है और गठजोड़े से पूजा की जाती है यथाविधि से कलश स्थापना करें फिर मंगला गौरी की स्वर्णमूर्ति की स्थापना करें। माता को सुहाग की सामग्री अर्पित करें इसके बाद श्री गणेश का स्मरण करके मां गौरी की पूजा करें और सोलह दीपकों से आरती करें। मन्नत अनुसार सोलह सुहागन महिलाओं को भोजन कराएं। परिवार और पति के साथ हवन करें और अंत में आरती करें। फिर सासू मां के चरण स्पर्शकर उन्हें चांदी के एक बर्तन में सोलह लड्डू, आभूषण, वस्त्र और सुहाग की पिटारी दें। इस तरह व्रत का उद्यापन करने से पुण्यदायी फल की प्राप्ति होती है।


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