धर्म-अध्यात्म

रखने जा रहीं हैं हरतालिका तीज व्रत, तो जान लें जरूरी बातें

Tara Tandi
12 Sep 2023 7:17 AM GMT
रखने जा रहीं हैं हरतालिका तीज व्रत, तो जान लें जरूरी बातें
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सनातन धर्म में तीज त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना अलग महत्व भी होता हैं लेकिन हरतालिका तीज बेहद खास मानी जाती है जो कि भाद्रपद मास में पड़ती हैं। हरतालिका तीज व्रत का महत्व महिलाओं के लिए अधिक होता है इस दिन शादीशुदा महिलाएं दिनभर का उपवास रखते हुए भगवान शिव और देवी पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं मान्यता है कि तीज के दिन शिव पार्वती की पूजा और व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।
इस बार हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को किया जाएगा। जिसे करवा चौथ से भी अधिक कइिन माना जाता है। इस व्रत को लेकर कई नियम बताए गए हैं जिनका पालन बेहद जरूरी माना गया है, ऐसे में अगर आप पहली बार हरतालिका तीज का व्रत कर रही हैं तो आज हम आपको इससे जुड़े नियम की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हरतालिका तीज से जुड़े नियम—
अगर आप पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं तो सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद निर्जला या फलाहार व्रत करते हुए आजीवन इस व्रत को निभाने का संकल्प करें। हरतालिका तीज का व्रत पूरे 24 घंटे का होता है। ऐसे में इस व्रत की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि से सूर्योदय से होती है और अगले दिन चतुर्थी के सूर्योदय पर इसका समापन हो जाता है। हरतालिका तीज पर अन्न, जल का त्याग करने का विधान होता है लेकिन अगर आप निर्जला व्रत करने में सक्षम न हो तो फलाहार व्रत कर सकती है। अगर तीज व्रत के दौरान कोई महिला मासिक धर्म हो जाए तो उसे दूर से ही भगवान की कथा सुननी चाहिए भगवान को छूना नहीं चाहिए और व्रत बताए समय के अनुसार ही खोलना चाहए।
शास्त्र अनुसार अगर तीज के व्रत को एक बार शुरु कर दिया है तो इसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। बल्कि व्रती को जीवनकाल तक इसका पालन करना पड़ता है। अगर आप नहीं रह सकते है तो इस व्रत को परिवार की किसी दूसरी महिला को सौंप दें। तीज व्रत में व्रतधारी महिलाओं को दोपहर या रात में सोना नहीं चाहिए ​बल्कि रात्रि जागरण करते हुए शिव पार्वती की चारों प्रहर में पूजा करें। इस दिन पूरे सोलह श्रृंगार करके ही शिव पार्वती की पूजा करें ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की इच्छा पूरी होती हैं। अगर आपने तीज का व्रत रखा है तो बिना कथा सुने या फिर दान किए इस व्रत का पारण ना करें क्योंकि व्रत कथा सुनने और दान करने से व्रत पूजा का पूरा फल मिलता है।
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