धर्म-अध्यात्म

चैत्र नवरात्रि में करने जा रहे हैं घटस्थापना तो जानिए कलश स्थापना की संपूर्ण विधि और मुहूर्त

Tara Tandi
31 March 2022 4:19 AM GMT
चैत्र नवरात्रि में करने जा रहे हैं घटस्थापना तो जानिए कलश स्थापना की संपूर्ण विधि और मुहूर्त
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चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 02 अप्रैल से हो रही है और 11 अप्रैल को खत्म हो रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 02 अप्रैल से हो रही है और 11 अप्रैल को खत्म हो रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और नवमी तक चलती है। दशमी तिथि को पारण करने के बाद नवरात्रि व्रत पूरा होता है। हर साल नवरात्रि की तिथियां घटती-बढ़ती हैं। आमतौर पर नवरात्रि की सामान्य अवधि 9 दिनों की होती है। लेकिन कभी-कभी तिथियां बढ़ने पर नवरात्रि 10 दिनों की होती है। तिथि घटने पर 8 या 7 दिन की होती है। जानें इस साल कितने दिन की होगी चैत्र नवरात्रि-

चैत्र नवरात्रि नौ दिनों के-
इस साल चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक रहेगी। 11 अप्रैल को व्रत पारण कर नवरात्रि समाप्त होंगे। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में नौ दिनों की नवरात्रि को बेहद शुभ माना गया है। इस साल माता रानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इसे घटस्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 02 अप्रैल 2022 शनिवार को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना प्रतिपदा यानी नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा के साथ की जाती है।
ऐसे करें कलश स्थापना:
कलश की स्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले उस जगह को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में आम का पत्ता रखें और इसे जल या गंगाजल भर दें। साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें। हाथ में लाल फूल और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करके मंत्र जाप करें और फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित करें। मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाएं, गाय के घी से बने होने चाहिए। या सिर्फ गाय के घी चढ़ाने से भी बीमारी व संकट से छुटकारा मिलता है।
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