धर्म-अध्यात्म

अगर आप इतिहास प्रेमी होने के साथ साथ धार्मिक भी हैं, तो भारत के इन प्रमुख शिव मंदिरों में एकबार जरूर जाएं

Kajal Dubey
1 March 2022 3:26 AM GMT
अगर आप इतिहास प्रेमी होने के साथ साथ धार्मिक भी हैं, तो भारत के इन प्रमुख शिव मंदिरों में एकबार जरूर जाएं
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भारत के कोने-कोने में कुछ ऐसे भी प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिर हैं,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज देशभर में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्त भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं. कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी और माता पार्वती का विवाह (Marriage) हुआ था. महाशिवरात्री पर लाखों शिव भक्त देश के प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिरों (Lord Shiva Temples) में भोले शंकर के दर्शन के लिए परिवार या फिर दोस्तों के साथ जरूर जाते हैं. वैसे तो सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिर उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर को समझा जाता है लेकिन, भारत के कोने-कोने में कुछ ऐसे भी प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिर हैं, जहां आप महाशिवरात्री या किसी और शुभ दिनों में भी घूमने के लिए जा सकते हैं. भारत के अलग-अलग शिव मंदिरों को महाकाल मंदिर, नटराज मंदिर और महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. अगर आप इतिहास प्रेमी होने के साथ साथ धार्मिक भी हैं, तो भारत के इन प्रमुख शिव मंदिरों में एकबार जरूर जाएं.

काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश
भारत में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है काशी विश्वनाथ मंदिर. यह बनारस में स्थित है. कहा जाता है कि महाशिवरात्री के दिन यहां के अन्य मंदिरों से शोभा यात्रा, ढोल नगाड़े के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है. इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि जो काशी विश्वनाथ में अपनी जीवन की अंतिम सांस लेता है, वो पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है.
सोमनाथ मंदिर, गुजरात
कहा जाता है कि केदारनाथ के बाद भारत में सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है गुजरात का सोमनाथ मंदिर. कई लोगों का मानना है कि भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है सोमनाथ मंदिर. सोमनाथ मंदिर में करोड़ों भारतीय और विदेशी शिव भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. समुद्र किनारे स्थित यह शिव मंदिर चालुक्य शैली वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना माना जाता है. अगर आप गुजरात घूमने के लिए जा रहे हैं, तो आपको सोमनाथ मंदिर जरूर जाना चाहिए.
मुरुदेश्वर शिव मंदिर, कर्नाटक
मुरुदेश्वर शिव मंदिर कनार्टक में और मंगलोर से 165 किलोमीटर दूर अरब सागर में स्थित है. यहां पर लगी भगवान शिव की मूर्ति विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है. कन्दुका पहाड़ी पर, तीन ओर से पानी से घिरा यह मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यहां भगवान शिव का आत्म लिंग स्थापित है, जिस की कथा रामायण काल से है. मान्यता है कि अमरता पाने के लिए रावण जब शिव जी को प्रसन्न करके उनका आत्मलिंग अपने साथ लंका ले जा रहा था, तब रास्ते में इस स्थान पर आत्मलिंग धरती पर रख दिए जाने के कारण स्थापित हो गया था. गुस्से में रावण ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया. उस प्रक्रिया में, जिस वस्त्र से आत्म लिंग ढका हुआ था वह म्रिदेश्वर जिसे अब मुरुदेश्वर कहते हैं में जा गिरा. इसकी पूरी कथा शिव पुराण में मिलती है.
महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत में सबसे प्रसिद्ध और सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है. केदारनाथ, सोमनाथ के अलावा महाकालेश्वर मंदिर को भी भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों से में एक माना जाता है. इस मंदिर की पवित्रता को देखते हुए कई लोग उज्जैन को महाकाल की नगरी से भी संबोधित करते हैं. इस मंदिर को लेकर एक मिथक ये है कि यहां मुर्दे की भस्म से महाकाल का शृंगार किया जाता है.
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महाराष्ट्र प्रांत के नासिक जिले में है. यहां के निकटवर्ती ब्रह्म गिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम है. गौतम ऋषि और गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करने के लिए पहुंचे थे. मंदिर के अंदर एक छोटे से गढ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और शिव- इन तीनों देवों के प्रतीक माने जाते हैं. शिवपुराण के अनुसार ब्रह्मगिरि पर्वत के ऊपर जाने के लिए चौड़ी-चौड़ी 700 सीढ़ियां बनी हुई हैं. इन सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद 'रामकुण्ड' और 'लष्मणकुण्ड' मिलते हैं और शिखर के ऊपर पहुंचने पर गोमुख से निकलती हुई भगवती गोदावरी के दर्शन होते हैं.
बाबा बैद्यनाथ धाम, झारखंड
झारखंड के देवघर में स्थित सबसे प्राचीन और सबसे पवित्र मंदिर है बाबा बैद्यनाथ धाम. सावन के महीने में यहां लाखों भक्त सुल्तानजग से जल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए जाते हैं. लगभग 42 किलोमीटर जल लेकर लाखों भक्त बाबा बैद्यनाथ धाम को अर्पित करने के लिए निकलते हैं. इस मंदिर के परिसर में लगभग 20 से भी अधिक मंदिर मौजूद हैं. बाबा बैद्यनाथ धाम के ठीक सामने पार्वती जी का भी मंदिर है, जो बेहद ही सुंदर मंदिर हैं.


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