धर्म-अध्यात्म

अगर आप भी निकलाते हैं दूसरों की कमियां, तो पढ़ें ये प्रेरक कथा

Triveni
20 Nov 2020 12:15 PM GMT
अगर आप भी निकलाते हैं दूसरों की कमियां, तो पढ़ें ये  प्रेरक कथा
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कमियां प्रत्येक इंसान में होती हैं। किसी में कुछ कम, तो किसी में कुछ ज्यादा। कुछ लोग अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास करते हैं,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कमियां प्रत्येक इंसान में होती हैं। किसी में कुछ कम, तो किसी में कुछ ज्यादा। कुछ लोग अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास करते हैं, तो कुछ उसे नजरअंदाज कर देते हैं। कुछ लोगों को सिर्फ दूसरों में ही कमियां नजर आती हैं और दिनभर वे दूसरों की कमियां ही निकालते रहते हैं। दूसरों की कमियां इंसान को आसानी से दिखाई देती हैं, लेकिन वह अपनी कमियों को देखकर उसे दूर या कम करने की कोशिश नहीं करता है। यदि आपके अंदर भी दूसरों की कमियों को निकालने की आदत है तो आप पढ़ें य​ह एक प्रेरक कथा।

एक समय की बात है। एक व्यक्ति सिर्फ दूसरों की कमियां निकालता रहता था। वह ऐसा करके स्वयं दुखी और परेशान रहने लगा था। जब नहीं रहा गया, तो एक दिन वह एक अध्यात्मिक गुरु के पास गया। उसके उनसे बोला कि उसके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। वह पहले की अपेक्षा अब अत्यधिक दुखी और परेशान रहने लगा है। इससे बचने का आप कोई उपाय बताएं।

उसकी बात सुनकर अध्यात्मिक गुरु ने एक उपाय सोचा। उन्होंने उस शख्स को दो थैले दिए। साथ ही कहा कि एक थैला अपने आगे और दूसरा थैला पीठ पर लटका लो। शर्त यह है कि आगे वाले थैले को तुम जब चाहो खोलकर देख सकते हो, लेकिन पीठ के थैले को नहीं खोलोगे।

तब उस व्यक्ति ने अध्यात्मिक गुरु से पूछा कि वह इन थैलों का क्या करेगा। इस पर अध्यात्मिक गुरु ने कहा कि आगे वाले थैले में तुमको अपनी कमियां और बुराइयां डालनी हैं। पीठ वाले थैले में दूसरों की कमियां तथा बुराइयों को डालना है। जब भी तुमको दूसरे या अपनी कोई कमी पता चले तो उन थैले में से संबंधित थैले में एक किलो लोहा डाल देना।

गुरु की आज्ञा के अनुसार, वह घूमने लगा। धीरे-धीरे दिन बीतने लगे, समय के साथ ही पीठ वाले थैले का वजन बढ़ने लगा। आगे वाला थैला वह कभी खोलता ही नहीं था। पीठ वाला थैला काफी भारी हो गया था, उसे बार-बार खोलने में परेशानी होने लगी। ऐसे में उसने पीठ वाले थैले को आगे कर लिया तथा आगे वाले थैले को पीठ पर। उसकी बुराइयों वाला थैला खाली था। वह दूसरों की बुराइयों के भार से काफी दुखी हो गया था।

कथा सार: दूसरों की कमियां निकालने के बजाय अपनी कमियों पर ध्यान देना चाहिए। तभी जीवन में सुख आ सकता है..।

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