धर्म-अध्यात्म

कुंडली में सूर्य और चंद्र हों साथ, तो ऐसे पड़ता है इसका प्रभाव

Kunti Dhruw
23 April 2021 10:14 AM GMT
कुंडली में सूर्य और चंद्र हों साथ, तो ऐसे पड़ता है इसका प्रभाव
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सूर्य और चंद्रमा को न सिर्फ धरती पर जीवन के लिए आवश्‍यक माना जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: सूर्य और चंद्रमा को न सिर्फ धरती पर जीवन के लिए आवश्‍यक माना जाता है बल्कि ज्‍योतिष में भी इन 2 ग्रहों को सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण माना जाता है। सूर्य को ग्रहों का राजा और चंद्रमा को ग्रहों की रानी कहा जाता है। सूर्य को पिता, राजनीति, नेतृत्व क्षमता, आत्मा, सरकारी कार्य या नौकरी आदि का कारक माना गया है। वहीं चंद्रमा को माता, मन आदि का कारक माना जाता है। इन दोनों ग्रहों की स्थिति का कुंडली में अच्छा होना जातक को कई परेशानियों से दूर कर देता है, क्योंकि एक आत्मा का कारक ग्रह है और दूसरा मन का। सफलता पाने के लिए आत्‍मा और मन का संतुलित होना बेहद जरूरी है। यानी ज्‍योतिष की नजर से देखा जाए तो सूर्य और चंद्रमा दोनों का ही आपकी कुंडली में शुभ होना जरूरी होता है।

सूर्य और चंद्रमा की युति

ज्‍योतिष में ऐसा माना जाता है कि सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे से जितना दूर होंगे, यह जातक को उतना ही शुभ परिणाम देंगे। चंद्र, सूर्य से जितना दूर होगा, उतना ही शक्तिशाली होगा। वहीं जब भी यह दोनों ग्रह कुंडली में युति बनाते हैं तो इसे अमावस्या योग कहा जाता है। यह योग जातकों के लिए अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि चंद्रमा सूर्य से दूर रहने पर ही शुभ परिणाम देते हैं। मगर यह सूर्य के जैसे-जैसे नजदीक आने लगते हैं तो अपनी शीतलता खोने लगते हैं और जातक के लिए अशुभ स्थितियां निर्मित करते हैं। अमावस्या योग के होने से चंद्रमा के शुभ फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं होते। वहीं जब कुंडली में यह दोनों ग्रह दृष्टि संबंध यानी प्रतियुति बनाते हैं तो शुभ फलों की प्राप्ति जातक को होती है। इस स्थिति में दोनों ग्रह एक-दूसरे से दूर रहते हैं।
सूर्य चंद्र युति का फल
कुंडली में इन दोनों ग्रहों की युति होने पर मनुष्‍य का जीवन परेशानियों से घिरने लगता है। मानसिक चिंताएं जातक को परेशान करती हैं। ऐसे लोग काल्पनिक दुनिया में खोकर अपने वर्तमान को खराब कर सकते हैं। इसके साथ ही इन दोनों ग्रहों के साथ होने से बुरी आदतें व्यक्ति को लग सकती हैं। पारिवारिक जीवन में भी ऐसे लोगों को दिक्कतों को सामना करना पड़ सकता है।
कुंडली के 12 भावों में सूर्य-चंद्र युति का प्रभाव

कुंडली के सभी 12 अलग-अलग भावों में सूर्य-चंद्र युति का अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलता है। आइए जानते हैं सभी भावों में सूर्य-चंद्र युति का प्रभाव…
– प्रथम भाव में इन दोनों ग्रहों की युति व्यक्ति को मानसिक रूप से कुछ पीड़ा दे सकती हैं। इस भाव में सूर्य चंद्र के होने से जातक आकर्षक हो सकता है लेकिन साथ ही चंचलता उसके मन में रहेगी।
– द्वितीय भाव में सूर्य चंद्र की युति होने से आर्थिक पक्ष में कमजोरी आ सकती है। वहीं कुटुंबीजनों के साथ भी व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
– तृतीय भाव में यह युति मिले जुले परिणाम देती है, व्यक्ति के अंदर साहस तो होगा लेकिन उसे उसका बल जब याद दिलाया जाएगा तभी वो किसी भी कार्य को करेगा।
– चतुर्थ भाव में इन ग्रहों की युति होने से चंद्रमा को बल मिलता है क्योंकि चंद्र इस भाव में बली होता है। वहीं सूर्य इस भाव में बहुत शक्तिशाली नहीं होता। इसलिए इस भाव में यह युति मिलेजुले परिणाम देती है। ऐसे लोग अपने प्रियजनों के बीच रहना पसंद करते हैं और माता का सहयोग इनको मिलता है।
– पंचम भाव में इस युति के होने से भावनात्मक रूप से व्यक्ति कमजोर हो सकता है। साथ ही उसके भाई-बहनों को जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
– षष्ठम भाव में इस युति के होने से व्यक्ति चिंताओं से घिरा रहता है। स्वास्थ्य को लेकर भी ऐसे जातकों को परेशानियां हो सकती हैं।
– सप्तम भाव में यह युति दांपत्य जीवन में चुनौतियां देने वाली हो सकती है। ऐसे लोगों को साझेदारी में कोई भी कार्य करने से बचने की जरूरत होती है।
– अष्टम भाव में सूर्य-चंद्र युति होने से व्यक्ति के अंदर अनजाना भय होता है। ऐसे लोग अपनी बातों को दूसरों के सामने रखने में कतराते हैं।
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– नवम भाव में चंद्र-सूर्य की युति व्यक्ति को धार्मिक बनाती है। ऐसे लोग अक्सर अपने जन्मस्थान से दूर रहते हैं।
– दशम भाव में सूर्य बली माने जाते हैं वहीं चंद्रमा अपनी शक्ति खो देते हैं, इसलिए इस भाव में इस युति के होने से व्यक्ति को प्रतिनिधित्व की क्षमता तो मिलती है, लेकिन सौम्यता की कमी के कारण यह कार्यक्षेत्र में परेशानियों का सामना कर सकते हैं।
– एकादश भाव में यह युति व्यक्ति के आर्थिक पक्ष को मजबूत बनाने वाली होती है, हालांकि धनार्जन में मेहनत बहुत करनी पड़ती है।
– द्वादश भाव में यह युति व्यक्ति को बुरी आदतों में डाल सकती है। ऐसे लोग बुरी संगति के कारण अपना नुकसान कर सकते हैं।
सूर्य-चंद्र की युति से कई परेशानियां जीवन में आती हैं जिनको दूर करने के लिए कुछ उपाय आपको करने चाहिए।


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