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धर्म-अध्यात्म
कुंडली में चन्द्र चौथे भाव में हो तो जातक को करना चाहिये ये उपाय
Rani Sahu
11 Aug 2021 4:03 PM GMT
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कुंडली मे चौथे घर में चंद्रमा पर केवल चंद्रमा का ही पूर्ण प्रभाव होता है क्योंकि वह चौथे भाव और चौथी राशि दोनो का स्वामी होता है
कुंडली मे चौथे घर में चंद्रमा पर केवल चंद्रमा का ही पूर्ण प्रभाव होता है क्योंकि वह चौथे भाव और चौथी राशि दोनो का स्वामी होता है। यहां चन्द्रमा हर प्रकार से मजबूत और शक्तिशाली होता है। जातक माँ का दुलारा होता है। चंद्रमा की सभी चीजें जातक के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती हैं। हस्तरेखातज्ञ एवं ज्योतिष पंडित विनोद जी ने बताया कि मेहमानों को पानी के स्थान पर दूध भेंट करें। मां के जैसी स्त्रियों का पांव छूकर आर्शीवाद लेना चाहिये। चांदी को हमेशा बचाकर रखना चाहिए। मुसीबत के समय पर भी न तो बेचे ना ही गिरवी रखें।
जानिये क्या करें उपाय
- समय समय पर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
- तीर्थस्थल की यात्रा करने से जीवन की समस्या में कमी आती है।
- जातक को कभी भी जल दूध का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। माँ या माँ जैसी औरतों के साथ बदसलुकी करें तो जीवन बर्बाद हो सकता है।
- हमें अपने कुलदेवी देवता की समय-समय पर पूजा करनी चाहिए।
- हमें अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए।
- हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
दुख और सुख को लेकर ज्योतिष में यह है उल्लेख
वयानुसार सुख दुख योग कथन जिस किसी की भी कुंडली में सुख और दुख का विचार करते समय उस मनुष्य के संपूर्ण आयु के तीन भाग करते हैं जिसे ज्योतिष शास्त्र में प्रथम भाग मध्यम बाघ और अंत भाग कहते हैं। इसी तरह कुंडली के चक्र के द्वादश भाव के भी 3 खंड अर्थात लग्न से चतुर्थ पर्यंत प्रथम भाव होता है। प्रथम सिस्टम से अष्टम भाव तक मध्य भाग होता है और अंत में नवम से द्वादश भाव पर्यंत अखंड अखंड माना जाता है। इस प्रकार से कुंडली के प्रथम आदि खंडों में जिस खंड में शुभ ग्रह स्थित हो तो मनुष्य को अपने उस वह खंड में सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जिस खंड में बहुत से पाप ग्रह हो अथवा अपनी नीच आवश्यक अथवा अस्त ग्रस्त ग्रह हो तो मनुष्य को अपने उस वह में उस खंड में दुख दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। विशेषकर पद्धति राजू क्षति होती है, ऐसा ज्योतिष कथन कहते हैं। कुंडली के प्रथम मंडाग्नि में शुभ ग्रह के रहने से शुभ अशुभ के अनुसार अशुभ फल की प्राप्ति जानी चाहिए।
Rani Sahu
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