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इन चार तरीकों से करें सच्चे मित्र की पहचान, कभी नहीं खाएंगे धोखा
आचार्य चाणक्य के अनुसार, आज के समय में सच्चे दोस्तों की पहचान करना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि किसी की शक्ल को देखकर इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि यह आपका घनिष्ठ मित्र या फिर किसी फायदे के लिए आपसे मित्रता कर रखी है। ऐसे में चाहे तो इन चार तरह से आप जान सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने उन चार तरीकों के बारे में बताया है जिसके द्वारा किसी भी व्यक्ति के बारे में इस बात को जान सकते हैं कि वह आपका सच्चा मित्र है कि नहीं।
श्लोक
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसण्कटे।
राजद्वारे श्मशाने च यात्तिष्ठति स बान्धवः ॥
आचार्य चाणक्य के अनुसार सच्चा मित्र वहीं है जो बीमारी में, असमय शत्रु से घिर जाने पर, राजकार्य में सहायक रूप में और मृत्यु पर श्मशान भूमि में ले जाने मदद करता है।
बीमारी
अगर कोई मित्र आपके या परिवार में किसी के बीमार होने पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है तो समझ लें कि वह सच्चा दोस्त है। क्योंकि जब कोई व्यक्ति की रोग से ग्रसित हो जाता है तो उससे हर कोई दूरी बना लेता है। ऐसे में अगर व्यक्ति आपके साथ हर तरह से खड़ा रहे तो वास्तव में आपका सबसे सच्चा मित्र है।
शत्रु से घिर जाने पर
अगर आप किसी कारण किसी शत्रु या फिर किसी संकट में फंस गए हो और ऐसे में कोई दोस्त आपकी मदद के लिए तैयार है और आपकी समस्याओं को खुद की समस्या समझता है तो जान लें कि वह सच्चा दोस्त है।
राजकार्य में सहायक
अगर आपका मित्र आपको काम में भी आपका साथ देता है। आपके हर काम में वह पूरी मदद करने की कोशिश करता है तो समझ लें कि वह सच्चा मित्र है।
मृत्यु पर श्मशान भूमि
घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर अगर व्यक्ति कंधे का सहारा देता है तो समझ लें कि वह सच्चा मित्र है। क्योंकि कपटी मित्र आपके सुख में तो साथ खड़ा रहता है लेकिन दुख आते ही भाग जाता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति आपके दुख में भी साथ खड़ा है तो समझ लें कि वह सबसे सच्चा मित्र है।