धर्म-अध्यात्म

गणेश जी कैसे दूर करेंगे वास्तु दोष

Khushboo Dhruw
21 Sep 2023 1:59 PM GMT
गणेश जी कैसे दूर करेंगे वास्तु दोष
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भगवान गणेश; भगवान गणेश न केवल देवी-देवताओं में प्रथम पूजनीय हैं। गणेश जी विघ्नहर्ता और बुद्धि के दाता भी हैं। उनकी कृपा से घर के सभी वास्तु दोष नष्ट हो जाते हैं। घर के मुख्य द्वार, पूजा स्थल, रसोई और कार्यस्थल पर भगवान गणेश की मूर्ति लगाने से वास्तु दोष नष्ट हो जाते हैं। बस इनके विशिष्ट उपयोग को समझने की आवश्यकता है।
ज्योतिष और वास्तुशास्त्र में भगवान गणेश की अलग-अलग रंग की मूर्तियों का उपयोग किया जाता है। इन रंगों की अलग-अलग मूर्तियां घर में विशेष स्थानों पर रखने से वास्तु दोष दूर होता है। कहा जाता है कि वास्तु के अनुसार गजानन की मूर्ति सही दिशा में रखने से सभी परेशानियां और दोष नष्ट हो जाते हैं।
गणेश जी कैसे दूर करेंगे वास्तु दोष?
बच्चों के अध्ययन कक्ष या पढ़ने की मेज पर पीले या हल्के हरे रंग की गणेश प्रतिमा रखें। भगवान गणेश की बहुत अधिक मूर्तियां एकत्रित न करें। पूजा स्थल पर भगवान गणेश की पीले रंग की मूर्ति रखें। अगर घर में पैसों से जुड़ी परेशानियां रहती हैं तो तिजोरी या पैसों की जगह सफेद गणपति की मूर्ति रखें।
याद रखें कि घर में गणेश जी की मूर्ति और ऑफिस में खड़े गणेश जी की स्थापना करने से वास्तु दोष दूर होता है। रोज सुबह पूजा में भगवान गणेश को जल चढ़ाएं और घर के मुख्य दरवाजे के अंदर भगवान गणेश की मूर्ति लगाएं। शयनकक्ष में भगवान की मूर्ति बिल्कुल भी नहीं रखनी चाहिए।
इस दिशा में रखें मूर्ति
घर के उत्तर-पूर्व कोने में गणपति की स्थापना करना सबसे शुभ होता है। पूजा के लिए घर का उत्तर-पूर्व कोना सर्वोत्तम होता है। आप भगवान गणेश को घर की पूर्व या पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं। मूर्ति रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि भगवान के दोनों पैर जमीन को छू रहे हों। इससे सफलता आपके कदम चूमेगी। भगवान गणेश को कभी भी घर की दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। घर के पूजा कक्ष के किसी भी तरफ शौचालय या गंदगी नहीं होनी चाहिए।
भगवान गणेश की स्थापना के नियम
घर में भगवान गणेश की बहुत अधिक मूर्तियां न रखें। पूजा स्थल पर कभी भी भगवान गणेश की तीन मूर्तियां एक साथ न रखें। भगवान गणेश की वही मूर्ति घर में स्थापित करें। मूर्ति की ऊंचाई बारह अंगुल से अधिक न हो तो अच्छा है। पीले रंग के गणपति सर्वोत्तम माने जाते हैं। भगवान गणेश को कभी भी तुलसी न चढ़ाएं।
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